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चिकित्सालय का वास्तु इस प्रकार होना चाहिए

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वास्तु के नियमों का पालन करने से मरीज और डॉक्टरों के बीच में हाथापाई की नौबत न के बराबर आती है, जिसके कारण न केवल डॉक्टर, नर्स बल्कि अन्य नर्सिंग होम के कर्मचारी भी तनाव मुक्त रहते हैं। निर्माण के समय निम्नलिखित बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए –

नर्सिंग होम पूर्वान्मुख या उत्तरोन्मुख रहना सर्वात्तम रहता है।.
मुख्य द्वार पूर्व दिशा, ईशान कोण या उत्तर में ही उचित होता है।
रोगियों के बैठने के लिए प्रतिक्षा कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
पीने के पानी की व्यवस्था ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व के कोण में हो तो अच्छा है।
शौचालय पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखें, तथा स्नानघर पूर्व या उत्तर दिशा में उचित होता है।

रोगियों को देखने के लिए डॉक्टर का कमरा उत्तर दिशा में होना चाहिए। डॉक्टर के चैम्बर में बैठने पर चेहरा पूरब या उत्तर की ओर होना अनिवार्य है। परीक्षण के समय रोगियों का सिर पूरब, पश्चिम या दक्षिण की ओर होना चाहिए। किसी भी हालत में सिर उत्तर की तरफ नहीं होना चाहिए।

रोगियों का कमरा (वार्ड) उत्तर, पश्चिम, अथवा वायव्य कोण में रहना चाहिए। गंभीर अथवा इमरजेंसी के रोगियों को वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में ही हर हालत में रखना चाहिए। इससे रोगियों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है और वे जल्दी ही अपने घर को स्वास्थ लाभ प्राप्त कर पहुंचते हैं। नर्सिंग होम में आपरेशन थियेटर, पश्चिम दिशा में हो तथा आपरेशन करते समय सर्जन का मुख पूरब या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, इससे आपरेशन में सफलता की सम्भावनाऐं बढ़ जाती हैं।
एक्सरे मशीन, ई.सी.जी., बिजली से चलने वाले अन्य उपकरणों का कमरा आग्नेय कोण में होना चाहिए।
डाक्टर के कक्ष में मेडिकल पुस्तकों के लिए रैक दक्षिण या पश्चिम की दीवारों के साथ रखें।
रोगियों के वार्ड, आपरेशन थियेटर, डाक्टर परीक्षण कक्ष के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है कि रोगियों के बिस्तर, परीक्षण मेज, डाक्टर के बैठने की कुर्सी, आपरेशन टेबल के ऊपर बीम न हो। बीम के नीचे बैठने, लेटने से, स्वास्थ्य लाभ में देरी हो सकती है।
सीढ़ियां ईशान कोण को छोड़कर पश्चिम, नैऋत्य, आग्नेय या वायव्य कोण में सुविधानुसार बनाना चाहिए।
बड़ा अस्पताल बनवाने पर इस बात का ध्यान रखें कि उसका मध्य खुला होना चाहिए, यानि आंगन जरूरी है।
नर्सिंग होम के फर्श का ढलान, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना आवश्यक है।
ओवर हेड टैंक (पानी की टंकी) अस्पताल के दक्षिण-पश्चिम के कोण पर रखें, ताकि इस कोण को अधिक ऊंचाई प्रदान कर सकें।
वास्तु के आधार पर बने चिकित्सालय में गम्भीर से गम्भीर मरीजों को जल्दी से जल्दी स्वास्थ्य लाभ होता है और चिकित्सालय की ख्याति भी बढ़ती है।