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पीएम मोदी आज नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का उद्घाटन करेंगे, 815 साल का लंबा इंतजार होगा खत्म

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नालंदा
 बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन शिक्षा का ऐसा केंद्र जिसको आक्रांताओं ने तबाह तो कर दिया था लेकिन, शिक्षा का यह केंद्र एक बार फिर से जनसेवा के लिए, शिक्षा के विश्वव्यापी प्रसार के लिए तैयार खड़ा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजगीर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा होने वाला है। इसको लेकर एसपीजी ने दोनों स्थलों पर अपनी कमान संभाल ली है। प्रधानमंत्री के आगमन से पहले यहां की तैयारियों का जायजा लिया गया। इस दौरान नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में एसपीजी की ओर से उच्च अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक भी की गई। बैठक में सुरक्षा के हर पहलू पर विचार-विमर्श किया गया और कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए कई आवश्यक निर्देश भी दिए गए।

17 देशों के राजदूत भी होंगे शामिल

आज  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा विश्वविद्यालय के नेट जीरो परिसर का शुभारंभ करने वाले हैं, जो 455 एकड़ में 1749 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है। साथ ही, प्रधानमंत्री प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष का अवलोकन भी करेंगे और नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में पौधरोपण करेंगे। प्रधानमंत्री के साथ भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अरविंद पनगढ़िया भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना में अहम योगदान देने वाले कुल 17 देशों के राजदूत भी शामिल होंगे। नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे कई देशों के छात्र-छात्राएं भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने बताया कि भारत को विश्व गुरु बनाने का जो हमारा लक्ष्य है, उसके प्रति यह एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना से नालंदा के गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है। इस परिसर में विगत सत्र में 26 देशों के बच्चे अध्ययन कर रहे थे, जिनमें उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण एशिया, और मध्य एशिया के देशों के छात्र शामिल हैं। यह पवित्र भूमि है, शांति और ज्ञान की भूमि है।

परिसर को परंपरागत और आधुनिक कला के मिश्रण से बनाया जा रहा है। परिसर का कुल क्षेत्रफल 455 एकड़ है। इसके 100 एकड़ में तमाम तरह के जलाशय फैले हुए हैं। इसलिए इस परिसर को कार्बन न्यूट्रल बताया जा रहा है। इस कारण इस कैंपस परिसर की खूब तारीफें हो रही हैं।

कैंपस के निर्माण का काम साल 2017 से चल रहा है। हालांकि इसका पहला शैक्षणिक सत्र सितंबर 2014 में बौद्ध तीर्थ नगरी राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय कंवेशन सेंटर में शुरू हुआ था। उस समय इसका उद्धाटन विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने किया था। इस परिसर को भारत सरकार की महत्वपूर्ण विदेश नीति 'पूर्व की ओर देखो'  का अहम हिस्सा माना जा रहा है। चूंकि यहां देश-दुनिया के लोग पढ़ने-लिखने आएंगे तो इसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि बनना स्वाभाविक है।

यहां पढ़ने-पढ़ाने के लिए देश-दुनिया से छात्र और अध्यापक आएंगें। इसके लिए कैंपस में तमाम तरह की आधारभूत संरचनाओं के विकास पर ध्यान दिया गया है। कैंपस में दो शैक्षणिक खंड हैं, इनमें 40 कक्षाएं शामिल हैं। 300-300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार हैं। लगभग 550 छात्रों के रहने के लिए छात्रावास की भी व्यवस्था की गई है ताकि पढ़ने के साथ-साथ सुरक्षित आवास भी मुहैया कराया जा सके।