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आगरा में यमुना के पानी से अब नहाना भी खतरनाक, ताजमहल के पीछे सबसे ज्यादा मैली

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आगरा

ताजनगरी, आगरा की यमुना का पानी पीने लायक तो छोड़िए, नहाने के काबिल भी नहीं है। विज्ञानियों की मानें तो इससे अब खेती-करना भी ठीक नहीं। सबसे बड़ी बात यह कि नदी ताजमहल के पीछे ही सबसे ज्यादा मैली है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार यमुना जल की मानीटरिंग कर रहा है। अपस्ट्रीम कैलाश और डाउनस्ट्रीम ताजमहल के पीछे पानी के नमूने लिए जाते हैं। हमेशा ताजमहल के पीछे ही यमुना सबसे मैली पाई जाती है। नदी को शुद्ध करने के लिए करोड़ों रुपयों की योजनाएं बनीं, खजाना फूंक दिया गया लेकिन यह हालत लगातार बनी हुई है।

पानी साफ होने की बजाए अधिक गंदा होता जा रहा है। मानकों से कई गुना गंदी नदी बीओडी तीन मिलीग्राम से कम होना चाहिए। जबकि यह 9.2 मिग्रा तक जा रहा है। फीकल कालीफार्म 5000 से कम होने चाहिए। जबकि यह 14000 तक पहुंच रहे हैं। इसी तरह शुद्ध पानी की पीएच वैल्यू 7.0 से कम होनी चाहिए। यह हर स्थान पर अधिक पाया गया है।

यमुना में सीधे गिर रहे 61 नाले
सिकंदरा से लेकर ताजमहल तक नदी प्रवाह लगभग समाप्त हो जाता है और गंदगी, प्लास्टिक, पालिथीन और सिल्ट की भरमार हो जाती है। इसकी बड़ी वजह से यह है कि यमुना एक्शन प्लान के तहत हुए करोड़ों रुपये के काम के बावजूद शहर में करीब 61 नाले हैं जो सीधे नदी में गिर रहे हैं। जल निगम और जलकल विभाग के मुताबिक शहर में करीब 22 नालों को टेप कर दिया गया है। इनका पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों से शोधित होने के बाद आगे जाता है। शेष 61 नालों की टेपिंग के लिए जल निगम ने करीब 1400 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया है। इसके तहत धांधूपुरा में 100 एमएललडी का एसटीपी बनाया जा रहा है। अन्य एसटीपी की क्षमता बढ़ाई जा रही है।

क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी, विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ कई विभागों ने यमुना जल पर संयुक्त अध्ययन के बाद एनजीटी को रिपोर्ट भेजी थी। इसकी सुनवाई मार्च में होनी थी। संभवत यह उसी का नतीजा हो सकता है। अभी हमारे पास आदेश की प्रति नहीं आई है।