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सुक्खा काहलवां हत्याकांड मामले में अदालत में पेश हुए आठ आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया

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कपूरथला। पंजाब के बहुचर्चित सुक्खा काहलवां हत्याकांड मामले में मंगलवार को आठ आरोपियों को अतिरिक्त जिला सेशन जज मुनीष अरोड़ा की अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। उक्त मामले में बचाव पक्ष की वकील डॉ. शैली शर्मा ने बताया कि पुलिस द्वारा बनाया गया मामला झूठा व बेबुनियाद था। मामले में पेश किए गए गवाह तथा पुलिस कर्मचारी अपने ब्यानों को झुठला चुके हैं। मंगलवार को बहुचर्चित हत्याकांड मामले को लेकर जिला कचहरी तथा आसपास क्षेत्र में लगभग 200 से अधिक पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया गया था। गौरतलब है कि सदर थाना फगवाड़ा में वर्ष 2015 में दर्ज की गई एफआईआर में एएसआई निर्मल सिंह ब्यानों में बताया गया कि वह पुलिस साथियों सहित नाभा जेल में बंद दो हवालाती सुखबीर सिंह उर्फ सुक्खा काहलवां व हवालाती राणा प्रताप को पेशी भुगतने के लिए कपूरथला लाए थे। पेशी भुगतने के बाद जब वह हवालातियों को वापिस नाभा जेल में छोड़ने के लिए जा रहे थे कि फगवाड़ा के पास पहुंचे तो सामने से एक काले रंग की फॉरचूनर गाड़ी आकर रुकी और उन्होंने सरकारी गाड़ी पर फायरिंग कर दी। जिसके बाद उन्होंने हवालाती सुक्खा काहलवां पर लगातार गोलियां चलाते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने मामले की जांच के बाद 13 आरोपियों को नामजद किया था जिसमें गुरप्रीत सिंह उर्फ सोनू बाबा, पावितार सिंह उर्फ फोगा, रनदीप सिंह उर्फ घुग्गी गुरप्रीत सिंह सेखों, कुलप्रीत सिंह उर्फ नीटा दिओ, तीर्थ सिंह ढिलवां, करमजीत सिंह उर्फ साब, रमनदीप सिंह, जैपाल, संदीप सिंह पहलवान, असलम, हरजिंदर सिंह उर्फ विक्की गौंडर व प्रेम लाहौरिया शामिल थे। बचाव पक्ष की वकील डॉ. शैली शर्मा व हमीश कुमार ने बताया कि पुलिस ने उक्त मामला बिल्कुल झूठा व बेबुनियाद दर्ज किया था। उक्त मामले में केस दर्ज हथियार व अन्य सबूत जो अदालत में पेश किए गए वह अदालत में सही नहीं पाए गए। वहीं दूसरी तरफ पुलिस द्वारा मामले में रिकवर की गई गाड़ी भी पंजाब पुलिस से बर्खास्त किए गए इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह से बरामद हुई थी जिसका मामला गंगा नगर अदालत में विचाराधीन है। शैली शर्मा व हमीश कुमार ने बताया कि अदालत में चार साल विचाराधीन रहे मामले में पुलिस द्वारा पेश किए गए गवाह भी अपने ब्यानों से झुठला गए थे। जिससे यह पूरी तरह से साबित होता है कि पुलिस ने उक्त मामला इन आरोपियों पर झूठा दर्ज किया था। मंगलवार को अतिरिक्त जिला सेशन जज मुनीष अरोड़ा की अदालत में केस की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत में पेश हुए आठ आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।