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आंबेडकर या सूरजमल, राजस्थान में क्यों भड़क उठी हिंसा; चुनाव से पहले ‘जाट बनाम जाटव’ की तैयारी?

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भरतपुर
राजस्थान के भरतपुर में बुधवार रात भारी बवाल हो गया। संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर और जाट राजा महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाने को लेकर विवाद के बाद पथराव और आगजनी तक हो गई। लोगों ने पुलिस को निशाना बनाया तो उग्र भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। दरअसल, चुनाव से पहले एक बार फिर यहां 'जातीय संघर्ष'को हवा दी जा रही है। दो महापुरुषों की मूर्तियों के बहाने 'जाट बनाम जाटव' का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर पूरा विवाद क्या है?

भरतपुर का नदबई विधानसभा जाट बाहुल्य इलाका है, जहां करीब 1 लाख 75000 जाट मतदाता हैं। नदबई को भरतपुर से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित चौराहे पर स्थानीय कांग्रेस विधायक योगेंद्र सिंह अवाना और जिला प्रशासन ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने का ऐलान किया है। 14 अप्रैल को यह कार्यक्रम प्रस्तावित है। लेकिन जाट समुदाय की मांग है कि इस मुख्य चौराहे पर भरतपुर संस्थापक महाराजा सूरजमल की मूर्ति स्थापित होनी चाहिए। उनका कहना है कि आंबेडकर की मूर्ति दूसरे चौराहे पर लगाई जाए।

क्यों अचानक उग्र हो गए लोग?
पूर्व राजपरिवार के सदस्य और राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने पत्रकार वार्ता करते हुए यह ऐलान किया कि जाट समुदाय के लोगों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और दलित समाज के महापुरुष भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके बाद जाट समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने शाम होते ही आगजनी करते हुए सड़क पर जाम लगा दिया। पुलिस की गाड़ियों पर जमकर पथराव किया। यहां तक की पुलिस को भी जान बचाकर भागना पड़ा। विरोध प्रदर्शनकारियों का यह तांडव पूरी रात चलता रहा। गोरिल्ला युद्ध की तरह प्रदर्शनकारी पुलिस की गाड़ियों पर हमला करते रहे।

मूर्ति पॉलिटिक्स के क्या हैं मायने?
दरअसल जोगेंद्र सिंह अवाना बसपा के टिकट पर वर्ष 2018 में नदबई से विधानसभा चुनाव जीते थे। फिर कांग्रेस सरकार में शामिल हो गए। अब विपक्ष उन पर जातीय संघर्ष को हवा देकर चुनाव जीतने की कोशिश का आरोप लगा रहा है। दरअसल नदबई विधानसभा सीट जाट बाहुल्य सीट रही है। लेकिन राज परिवार के सदस्य कृष्णेंद्र कौर दीपा से 2018 में जाट समुदाय नाराज हो गया था। इसलिए उन्होंने दीपा को हराने के लिए समुदाय के कई लोगों को खड़ा कर दिया। दीपा को हराने के लिए जाट समुदाय के बहुत से लोगों ने नए चेहरे जोगेंद्र सिंह अवाना को भी मतदान किया था। लेकिन पिछले पांच साल में माहौल एक बार फिर काफी बदल चुका है।  

38 साल पहले भी जातीय संघर्ष झेल चुका भरतपुर
करीब 38 वर्ष पहले जिले में कुम्हेर कांड हुआ था जिस में जातीय संघर्ष हुआ था। जाट और जाटव समुदाय के बीच हुए जातीय संघर्ष हुआ में भारी नुकसान हुआ था। कई लोगों की मौत हो गई थी। कई दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा।