रांची
झारखंड हाई कोर्ट में हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले, बुधवार को सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट में कई अहम सबूत पेश किए थे। ईडी ने यह भी दावा किया था कि बड़गाईं की 8.5 एकड़ जमीन पर कब्जे के लिए हेमंत सोरेन ने अधिकारियों की मदद ली थी।
बड़गाई के अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मी भानु प्रताप एवं उनके प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने पूछताछ के दौरान इसकी पुष्टि की है। पिंटू ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर को बरियातू की विवादित जमीन का सत्यापन का निर्देश दिया था। इसके बाद उदय शंकर ने बड़गाईं के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार को उक्त जमीन का सत्यापन करने को कहा था।
'बेबुनियाद हैं सभी आरोप'
वहीं, सोमवार को सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से कहा गया था कि उनपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है। इस जमीन की प्रकृति भुईंहरी है, जो हस्तांतरित नहीं हो सकती है। ईडी के पास इससे संबंधित दस्तावेज भी नहीं है। यह जमीन विवाद का मामला है। जमीन पर कब्जे का मामला शेड्यूल ऑफ ऑफेंस के तहत नहीं आता है।
क्या है मामला?
बता दें कि हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के आरोप में 31 जनवरी से जेल में बंद है। ईडी ने जांच पूरी करते हुए 30 मार्च को हेमंत सोरेन सहित पांच के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके अलावा झामुमो नेता अंतू तिर्की सहित 10 आरोपियों पर पूरक आरोप पत्र भी पिछले दिनों अदालत में दाखिल हो चुका है।