नई दिल्ली
रूसी नौसेना के युद्धपोत और परमाणु पनडुब्बी ने अमेरिका के निकट अटलांटिक महासागर में क्यूबा जाते समय ताबड़तोड़ मिसाइलें दागी हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। एक बयान में रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी कज़ान और युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव द्वारा क्यूबा के निकट अटलांटिक महासागर में किए गए युद्धाभ्यास में 600 किमी (370 मील) से अधिक की दूरी की मारक क्षमता और सटीक निशाने वाली मिसाइलें दागी गई हैं। मंत्रालय ने कहा कि एडमिरल गोर्शकोव ने हाल के दिनों में हुए हवाई हमलों को टालने के लिए यह अभ्यास किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जब रूसी युद्धपोत अमेरिका के समुद्री तट से महज 25 मील दूर से गुजर रहा था, तभी हाइपरसोनिक मिसाइलें दागी गईं। अटलांटिक महासागर में रूस की यह हरकत 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट की याद दिला रहा है। वह शीतयुद्ध के इतिहास के सबसे तनाव भरे दिन थे।
क्यूबा और अमेरिका के संबंध दशकों से मधुर नहीं रहे हैं लेकिन क्यूबा और रूस के संबंधों में निकटता देखी गई है। रूस अभी भी क्यूबा का प्रमुख आर्थिक मददगार देश है। क्यूबा ने रूस-जॉर्जियाई युद्ध में रूस का पुरजोर समर्थन किया था। 2008 के अंत में क्यूबा और रूस ने आर्थिक क्षेत्र में एक दूसरे के साथ संयुक्त सहयोग बढ़ाया है। क्यूबा में रूसी मूल के लगभग 55,000 लोग रहते हैं।
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को क्यूबा पहुंच रहे रूसी बेड़े में उसकी सबसे एडवांस्ड फ्रिगेट एडमिरल गोर्शकोव है। यह हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस युद्धपोत है। गोर्शकोव के अलावा बेड़े में एक परमाणु संचालित पनडुब्बी और दो अन्य नौसैनिक जहाज भी हैं। रूसी बेड़ा अगले सोमवार तक क्यूबा के पास कैरिबियन सागर में रहेगा। इस दौरान दोनों देश युद्धाभ्यास करेंगे। क्यूबा ने पिछले हफ्ते कहा था कि हवाना के मित्र देशों की नौसेना इकाइयों द्वारा इस तरह की यात्राएँ और अभ्यास सामान्य सी बात है और वे क्षेत्र के लिए कोई खतरा नहीं हैं।
दूसरी तरफ अमेरिका इस युद्ध अभ्यास और रूसी बेड़े की यात्रा पर पैनी नजर बनाए हुए है। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने इस ड्रिल से किसी भी तरह की खतरे की आशंका से इनकार किया है। उनके मुताबिक, रूस सिर्फ यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह विश्व शक्ति अमेरिका की बराबरी करने के लिए तैयार है। बता दें कि पिछले करीब ढाई साल से, जब से यूक्रेन-रूस युद्ध छिड़ा है, अमेरिका और रूस के रिश्ते तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं।
बता दें कि अमेरिका ने 1961 में क्यूबा में तख्तापलट की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहा था। फिर अक्टूबर 1962 में जो हुआ, वह कोल्ड वार के सबसे भयावह पलों में से एक है। तब दुनिया परमाणु युद्ध के मुहाने पर पहुंच गई थी। दरअसल, तब क्यूबा को सोवियत रूस का पूरा समर्थन हासिल था। अमेरिका को यह पसंद नहीं था कि उसके पड़ोस में कोई कम्यूनिस्ट देश रहे और उसे सोवियत रूस का समर्थन प्राप्त हो। तब अमेरिका ने इटली और तुर्की में न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात कर दी थीं। इसके जवाब में रूस ने भी क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी थीं। यह संकट 13 दिनों तक चला था।