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ओडिशा में BJP ने मोहन चरण माझी को मुख्यमंत्री बनाकर फिर चौकाया,जानें कहां-कहां होगा इसका असर

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नई दिल्ली

ओडिशा में मुख्यमंत्री पद के नाम की घोषणा हो गई है. 52 वर्षीय मोहन चरण माझी को बीजेपी विधायकों ने दल के नेता के रूप में चुना है. मोहन माझी ओडिशा के अगले मुख्यमंत्री होंगे. वह ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री चुने गए हैं और प्रदेश में पहली बीजेपी सरकार का नेतृत्व करेंगे. वह क्योंझर से लगातार चार बार विधायक चुनते आए हैं.

दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर बहुमत हासिल किया. इसी के साथ राज्य में 24 साल बाद बीजेडी सत्ता से बाहर हुई. बीजेपी को 147 सीटों में 78 सीटें मिलीं. नवीन पटनायक साल 2000 से लगातार 2024 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. वो इस पद पर 24 साल और 98 दिन तक रहे. अब माझी प्रदेश की कमान संभालेंगे.

मोहन चरण माझी खनिज संपन्न केंदुझर जिले के एक मजबूत और तेजतर्रार आदिवासी नेता हैं. वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और ओडिशा विधानसभा में अपने प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं. उनको बीजेपी का एक विश्वनीय सदस्य और एक मज़बूत सांगठनिक नेता माना जाता है.

माझी ने 2011 में ढेंकनाल लॉ कॉलेज उत्कल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट एलएलबी और 2011 में सैम होइगॉन बोहोम इंस्टीट्यूट एट टेक्नोलॉजी एंड साइंस से एमए किया है.

बीजेपी की आदिवासी राजनीति

छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा दूसरा ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी ने आदिवासी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. दरअसल बीजेपी नजर देश के आदिवासी वोटों पर है.इसी उद्देश्य के लिए बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए ओडिशा की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मु के नाम का चयन किया था. वहीं आदिवासियों को संदेश देने के लिए ही बीजेपी ने ओडिशा के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी विष्णुदेवा साय को मुख्यमंत्री बनाया था.साय को मुख्यमंत्री बनाने में आदिवासी समाज का योगदान भी बड़ा था. बीजेपी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

RSS से मजबूत संबंध

माझी के आरएसएस से भी मजबूत संबंध हैं. माझी का राजनीतिक करियर दो दशकों से अधिक का है. जनसाधारण से जुड़ने की उनकी क्षमता, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में, ने उन्हें लोकप्रियता दिलाई है. चार बार के विधायक के रूप में उन्हें राज्य की शासन प्रणाली की गहरी समझ है और उन्होंने इस क्षेत्र के लिए भाजपा की नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2023 में, मोहन चरण माझी को स्पीकर के पोडियम पर दाल फैंक दी थे. इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. हालांकि माझी और उनके विधायक सहयोगी मुकेश महालिंग ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने दाल फेंकी, उन्होंने इसे केवल स्पीकर को भेंट किया था.

करीब 2 करोड़ की संपत्ति के मालिक

MyNeta.info पर विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान इलेक्शन कमीशन को दिए गए हलफनामे के मुताबिक, मोहन चरण माझी ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा पेश किया था. ओडिशा के नए सीएम के पास ग्रेजुएट डिग्री है और उन्होंने अपने कुल चल-अचल संपत्ति करीब 1.97 करोड़ रुपये बताई थी. इसके साथ ही उन्होंने इस हलफनामे में अपनी देनदारियों का खुलासा भी किया और बताया कि उनके ऊपर 95.58 लाख रुपये का कर्ज है. अलग-अलग 9 बैंक खातों में पति-पत्नी के नाम पर 10.92 लाख रुपये जमा हैं. उनकी पत्नी के नाम पर एसबीआई में एक फिक्स्ड डिपॉजिट (SBI FD) है, जो 51 लाख रुपये की है.

2021 में कार पर फेंके गए थे बम

ओडिशा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मुख्य सचेतक रहे मोहन चरण माझी की कार पर 2021 में क्योंझर जिले में अज्ञात हमलावरों ने बम फेंके थे, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे. ये धमाका क्योंझर कस्बा थानांतर्गत मंडुआ इलाके में तब हुआ था जब बीजेपी विधायक श्रमिक संघ की बैठक में भाग लेकर घर लौट रहे थे. माझी ने FIR दर् राते हुए मोटरसाइकिल सवार बदमाशों पर दो देसी बम फेंकने का आरोप लगाया था. उन्होंने उस समय की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी के स्थानीय नेताओं पर हमल कराने के आरोप लगाए थे.

झारखंड का फेल प्रयोग

इससे पहले बीजेपी ने आदिवासी बहुल झारखंड में गैर आदिवासी रघुवर दास को वहां का मु्ख्यमंत्री बनाया था. लेकिन बीजेपी को उनका कोई फायदा नहीं मिला था.साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली.रघुवर दास खुद चुनाव हार गए थे. बीजेपी झारखंड में आदिवासी के लिए आरक्षित 28 में से 26 सीटें हार गई थी. उसका यही हाल छत्तीसगढ़ में भी हुआ था. आदिवासी सीटें हारने की वजह से छत्तीसगढ़ की सरकार उसके हाथ से निकल गई थी. इससे सबक लेते हुए बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री एक आदिवासी को बनाया तो झारखंड बीजेपी की कमान एक आदिवासी बाबूलाल मरांडी को सौंपी है. लेकिन यह भी संयोग ही होगा कि मोहन चरण माझी को शपथ रघुवर दास ही दिलाएंगे.

ओडिशा में बीजेपी का प्रदर्शन

हाल में हुए ओडिशा विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार बहुमत के साथ जीत दर्ज की है. ओडिशा की विधानसभा में कुल 147 सीटें हैं. बीजेपी ने इनमें से 78 सीटों को जीत दर्ज की है. नवीन पटनायक की बीजेडी को 51, कांग्रेस को 14, सीपीआईएम को एक और अन्य को तीन सीटें मिली हैं.