Home देश लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले थल सेनाध्यक्ष होंगे, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे...

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले थल सेनाध्यक्ष होंगे, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की जगह लेंगे

6

नईदिल्ली

 लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले सेना प्रमुख होंगे। वह वर्तमान सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का स्थान लेंगे। उनके नाम की घोषणा सरकार की ओर से मंगलवार रात की गई। जनरल पांडे 30 जून को रिटायर होंगे। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की नियुक्ति में सरकार ने वरिष्ठता क्रम का पालन किया है। सरकार ने कुछ ही दिन पहले जनरल पांडे की रिटायरमेंट से पहले उनका कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया था। जनरल पांडे को 31 मई को पहले रिटायर होना था। रक्षा मंत्रालय ने कहा सरकार ने वर्तमान में उप सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 30 जून से अगले सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है।

 एक जुलाई 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी सैनिक स्कूल, रीवा के पूर्व छात्र हैं। वह 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की 18-जम्मू कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे। बाद में उन्होंने यूनिट की कमान संभाली।

 लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने 19 फरवरी को उप सेना प्रमुख का पदभार संभाला था। उप सेना प्रमुख का पदभार संभालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी 2022-2024 तक उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्यरत थे।

 लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर कार्य करने व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में उप सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं।

 देश के नए आर्मी चीफ के पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का अनुभव है। उनके पास उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर काम करने का शानदार अनुभव है। उन्हें उत्तरी पूर्वी राज्यों में उग्रवाद से निपटने वाले ऑपरेशन में भी महारत हासिल है।

नए आर्मी चीफ सेना के आधुनिकीकरण प्रक्रिया में भी शामिल रह चुके हैं। मेक इन इंडिया के तहत सेना में स्वदेशी हथियारों को शामिल कराने में उनकी अहम भूमिका रही।

 उपेंद्र द्विवेदी नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू से भी पाठ्यक्रम पूरा किया है। उनके पास रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो मास्टर डिग्री है।

 उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री(जम्मू और कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था। 40 वर्षों की लंबी सेवा के दौरान लेफ्टिनेंट द्विवेदी ने विभिन्न कमांड, स्टाफ, इंस्ट्रक्शनल और विदेशी नियुक्तियों में काम किया है।

3 भाई और एक बहन, सैनिक स्कूल से पढ़े हैं

मध्य प्रदेश के रीवा के लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी के पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी माइनिंग अफसर और मां मानवती गृहिणी थीं। तीन भाइयों में सबसे छोटे उपेंद्र ने रीवा सैनिक स्कूल में 1973 से 1980 तक पढ़ाई की। 6ठी से 12वीं तक नर्मदा हाउस के छात्र रहे। ग्रेजुएशन के बाद 15 दिसंबर 1984 को उनका सेना में कमीशन हो गया। सबसे बड़े भाई डॉ. पीसी द्विवेदी रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन रहे हैं। दूसरे भाई पीएस द्विवेदी भोपाल में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। बहन डॉ. पुष्पा पाण्डेय जबलपुर जिला अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

आतंकवाद से निपटने में महारथी

देश के नए आर्मी चीफ के पास उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर काम करने का शानदार अनुभव है। वे कश्मीर और राजस्थान में भी यूनिट की कमान संभाल चुके हैं। उनके पास न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ लड़नेका अनुभव है बल्कि उनको उत्तरी पूर्वी राज्यों में उग्रवाद से निपटने वाले ऑपरेशन में महारत भी हासिल हैं। नए सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी सेना के आधुनिकीकरण प्रक्रिया में भी शामिल रह चुके हैं। आत्मनिर्भर भारत के तौर पर सेना में स्वदेशी हथियारों के शामिल कराने में भी लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की अहम भूमिका रही है।

यहां जानें कौन हैं नए इंडियन आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी

    लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी फिलहाल उप सेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।

    उन्होंने 19 फरवरी को उप सेना प्रमुख का पदभार संभाला था।

    इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी 2022-2024 तक उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में सेवाएं दे रहे थे।
    उन्होंने पूर्वी लद्दाख को लेकर चीन के साथ चल रही बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी।

    सेना के उत्तरी कमान का काम चीन से लगने वाले बॉर्डर की सुरक्षा और पाकिस्तान से लगने वाली भारत की सरहद की हिफाजत करना है।
    लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ था।

    वे सैनिक स्कूल, रीवा के पूर्व छात्र हैं।

    वे 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की 18-जम्मू कश्मीर राइफल्स में शामिल हुए थे।

    बाद में उन्होंने यूनिट की कमान संभाली।

    करीब 40 साल के कॅरियर में वे कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।