हत्या के मामले में 16 अभियुक्तों को आजीवन कारावास
तंत्र-मंत्र के चक्कर में 65 वर्षीय वृद्ध की हत्या के मामले में 16 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल ने पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
औरंगाबाद/पटना
बिहार के औरंगाबाद जिले की एक अदालत ने वर्ष 2020 में तंत्र-मंत्र के चक्कर में 65 वर्षीय वृद्ध की हत्या के मामले में 16 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) संजय मिश्रा ने कुटुंबा थाने में दर्ज मामले की सुनवाई करते 16 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
अपर लोक अभियोजक (एपीपी) राजाराम चौधरी ने बताया कि कुटुंबा थाना क्षेत्र के समदा इब्राहिमपुर गांव निवासी सोनू राम की पत्नी पुष्पा देवी ने 13 अगस्त 2020 को कुटुंबा थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करवा कर गांव के 16 लोगों पर आरोप लगाया था कि उन लोगों ने धारदार हथियारों से उनके ससुर जगदीश राम की हत्या कर दी है।
प्राथमिकी के अनुसार गांव के ही भुवनेश्वर राम के पुत्र जुगल राम की 9 अगस्त 2020 को किसी बीमारी से मौत हो गई थी। सभी अभियुक्तों ने उनके ससुर पर तंत्रमंत्र करने का आरोप लगाकर उनकी हत्या कर दी।
अदालत ने सभी 16 आरोपियों को आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल ने पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल ने पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह के दौरान न्यायमूर्ति चंदेल को शपथ दिलाई। इस मौके पर कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत न्यायमूर्ति चंदेल को 29 मई को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया गया था।
एक सितंबर, 1963 को बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में पैदा हुए न्यायमूर्ति चंदेल ने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से बीए की डिग्री और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की थी।
उन्होंने 26 अगस्त, 1987 को मध्य प्रदेश के शहडोल व्यवहार न्यायालय में सिविल जज के रूप में कार्यभार संभाला था। इसके बाद, न्यायमूर्ति चंदेल ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अधीनस्थ अदालतों में विभिन्न पदों पर कार्य किया।
उन्होंने 27 जून, 2017 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और दो सितंबर 2019 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।