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MBBS एडमिशन का बदल जाएगा पूरा खेल! जानिए- हाई नीट कटऑफ के 5 बड़े असर

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NEET 2024 रिजल्ट आने के बाद से ही पूरी मेडिकल इंडस्ट्री में खलबली मची हुई है। मेडिकल कॉलेज हों या मेडिकल स्टूडेंट्स, नीट की तैयारी करने वाले बच्चे हों या नीट प्रिपरेशन कराने वाले कोचिंग संस्थान… सबका एक ही कंसर्न है- NEET Cut Off 2024 का काफी ज्यादा होना। जाहिर है ये हाई नीट कट ऑफ 2024, इस साल होने वाले Medical Admissions पर भी बड़ा असर डालेगा। इस साल एमबीबीएस, बीडीएस समेत अन्य कोर्सेस में मेडिकल एडमिशन 2024 में पांच बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। बता रहे हैं एक्सपर्ट- गौरव त्यागी, फाउंडर, Career Xpert।

1. सीटों के लिए तगड़ा कंपटीशन (Increased Competition for Medical Seats)

नीट 2024 कट-ऑफ ज्यादा होने से देश के मेडिकल कॉलेजों में MBBS Seats के लिए पहले से भी ज्यादा तगड़ी लड़ाई होगी। ज्यादा बच्चों के अच्छे नंबर आने से नीट मेरिट लिस्ट में ऊपर आने के लिए भी ज्यादा कंपटीशन होगा। यानी पहले जिन्हें अच्छे कॉलेज में आसानी से दाखिला मिल जाता था, उन्हें भी अब अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है। प्रतिस्पर्धा ज्यादा है और मेडिकल की सीटें कम। ऐसे में स्टूडेंट्स को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। जिससे दाखिला प्रक्रिया और भी जटिल और तनावपूर्ण हो जाएगी।

2. डीम्ड और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर दबाव

कट-ऑफ ज्यादा होने से Private Medical Colleges और Deemed Universities में सीटों की मांग भी शायद बढ़ जाएगी। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मुश्किल होगा। इससे ये प्राइवेट और डीम्ड कॉलेज दाखिला प्रक्रिया में ज्यादा सख्ती बरत सकते हैं। अपने कट-ऑफ या फीस बढ़ा सकते हैं।

3. मेडिकल एडमिशन की स्ट्रेटजी में बदलाव

नीट कट-ऑफ ज्यादा होने की वजह से कई छात्रों को Medical Admission 2024 की रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। जो कट-ऑफ के थोड़े ही नीचे हैं, वो शायद तैयारी करने और अगले साल अच्छे अंक लाने के लिए एक साल का गैप लेने के बारे में सोच सकते हैं। कुछ विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई के ऑप्शन भी देख सकते हैं। इस बदलाव से उन देशों में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ सकती है जो किफायती हैं और मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री देने के लिए जाने जाते हैं। जैसे- फिलीपींस, चीन, रूस और यूक्रेन।

4. MBBS के अलावा दूसरे ऑप्शंस पर जोर

एमबीबीएस सीटों की कमी और कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए स्टूडेंट्स अब वैकल्पिक चिकित्सा क्षेत्रों के बारे सोचना शुरू कर सकते हैं। फिजियोथेरेपी, फार्मेसी, डेंटिस्ट्री (BDS), वेटनरी साइंसेज (VVSc) और अन्य मेडिकल कोर्सेस में आवेदन बढ़ सकते हैं। ये क्षेत्र हेल्थ सर्विसेस में अच्छे करियर ऑप्शन देते हैं। और उन छात्रों के लिए अधिक आकर्षक बन सकते हैं जो डॉक्टर बनना चाहते हैं लेकिन उन्हें एमबीबीएस सीट के लिए नहीं चुना गया।

5. NEET कोचिंग इंस्टीट्यूट्स और प्रिपरेटरी कोर्सेस पर असर

NEET High Cut Off देखते हुए बच्चे ज्यादा से ज्यादा स्कोर करने के लिए कोचिंग संस्थानों पर और डिपेंडेंट हो सकते हैं। यानी नीट कोचिंग क्लासेस में छात्रों की संख्या बढ़ सकती है। यह प्रवृत्ति मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के बढ़ते बिजनेस को भी उजागर करती है। नीट की तैयारी का खर्च उठाना सभी छात्रों के लिए, खासकर ग्रामीण या आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए और मुश्किल हो सकता है।