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अब कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है, राजस्थान में उपचुनावों में कांग्रेस के सामने पांच सीटें बचाने की चुनौती

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जयपुर
लोकसभा चुनावों के बाद अब कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है। पार्टी को उन सीटों को बचाना होगा जिनके विधायक अब सांसद बन चुके हैं। ऐसी कुल पांच सीटें हैं, जहां कांग्रेस और उसके गठबंधन के विधायकों ने सांसद के रूप में जीत हासिल की है।

कांग्रेस के देवली-उनियारा विधायक हरीश मीणा टोंक सवाई माधोपुर से सांसद चुने गए हैं। दौसा से कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा भी सांसद चुने गए हैं। झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला भी सांसद बन गए हैं। गठबंधन में नागौर से हनुमान बेनीवाल और चौरासी से भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत भी अब सांसद बन गए हैं। इन पांचों सीटों पर उपचुनाव होंगे।

कांग्रेस के लिए कम से कम देवली-उनियारा, दौसा और झुंझुनूं सीटों पर जीत हासिल करना महत्वपूर्ण है। बाकी दो सीटों पर गठबंधन के साथी आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत का अपना प्रभाव है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन सीटों पर कांग्रेस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेगी या अपने प्रत्याशी उतारेगी। बांसवाड़ा में बागीदौरा से बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत मालवीया अपनी सीट नहीं बचा सके। यहां भारतीय आदिवासी पार्टी के जयकृष्ण पटेल ने 50,000 से अधिक के अंतर से चुनाव जीत लिया।

इन उपचुनावों में कांग्रेस की रणनीति और गठबंधन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पार्टी को न केवल अपने प्रभाव को बनाए रखना है बल्कि गठबंधन सहयोगियों के साथ समन्वय भी करना होगा ताकि सभी सीटों पर बेहतर परिणाम हासिल किया जा सके।