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राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर कर रही जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम

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भोपाल

राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है, पर अभी भी विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त में दर्ज प्रकरणों में आरोपित 180 अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के मामले संबंधित विभागों में लंबित हैं। इनमें कुछ आइएएस अधिकारी भी शामिल हैं।

नियमानुसार यदि किसी प्रकरण में विधिक सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है या अन्य कोई समस्या नहीं है तो प्रकरण प्राप्त होने के 45 दिन के भीतर अभियोजन की स्वीकृति मिल जानी चाहिए, पर ऐसा नहीं हो रहा है। अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित मामलों की निगरानी और निराकरण के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति बनी हुई है।

इसके बाद कई अधिकारी-कर्मचारी अपने प्रभाव का उपयोग करके स्वीकृति नहीं मिलने देते। इस कारण उनके विरुद्ध न्यायालय में प्रकरण नहीं चल पा रहा है। उधर, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में 35 अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति आना बाकी है। यहां एक वर्ष पहले तक यह आंकड़ा सौ के ऊपर रहता था।

लगभग छह माह पहले की बात करें तो 80 प्रकरण लंबित थे। प्रकरणों की निगरानी के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने एक पोर्टल भी बनाया है, जिससे लगातार निगरानी की जा रही है कि संबंधित विभाग से अभियोजन की स्वीकृति में क्यों देरी हो रही है।

जीएडी की ओर से विभागों से समन्वय भी किया जाता है। इसके बाद से अभियोजन स्वीकृति की गति बढ़ी है। अभियोजन की स्वीकृति नहीं देने को लेकर कांग्रेस भी सरकार को घेरती रही है। इसके बाद सरकार ने इसमें निगरानी बढ़ाई है।