ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुंडली में काल सर्प दोष होने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच जब सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष नामक योग का निर्माण होता है। ज्योतिषियों के अनुसार, राहु 18 मई 2025 को कुंभ राशि में गोचर करेगा। वहीं, केतु वक्री होकर सिंह राशि में गोचर करेगा। राहु और केतु अन्य शुभ और अशुभ ग्रहों के साथ मिलकर कुंडली में कई दोष उत्पन्न करते हैं। इन्हीं दोषों में से एक है काल सर्प योग, जो अत्यंत कष्टदायक होता है।
कैसे बनता है पातक काल सर्प योग
काल सर्प दोष में पातक कालसर्प योग भी एक दोष माना जाता है। यह तभी बनता है, जब दसवें घर में राहु और चौथे घर में केतु होता है तथा अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच में एक ही तरफ रहते हैं। कालसर्प योग के प्रमुख 12 प्रकार के योग में यह दसवां प्रकार है। इस दोष का नाम सुनकर ही व्यक्ति भयभीत हो जाता है। इससे प्रभावित लोगों को पूरे जीवन कष्टों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे लोगों को अपने पिता से संपत्ति प्राप्त करने के लिए अपने ही भाइयों की तरफ से लगातार विरोध का सामना करना पड़ता है। यह लोग नौकरी करते हों या व्यवसाय हर क्षेत्र में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पातक कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से दूसरों से उधार मांगने तथा हर कार्य को करने के लिए दूसरों की मदद या अहसान लेने की आदत सी बन जाती है। इस तरह ये लोग जीवन भर कर्ज से दबे रहते हैं।
दोष दूर करने के उपाय
इस दोष के प्रभाव को कम करने के लिए शिवजी की आराधना बहुत जरूरी है। रोज शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, सावन मास अथवा किसी भी शिव वास के दिन रुद्राभिषेक कराने से भी दुष्प्रभाव में कमी आती है।
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शनिवार अथवा मंगलवार या दोनों ही दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
रोज स्नान करने के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी इस दोष को कम किया जा सकता है।