मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रामनवमी पर जनजातीय संग्रहालय प्रांगण में महिला सरपंच, खिलाड़ी, पुलिस अधिकारी, चिकित्सक, स्व-सहायता समूह की दीदी और छात्रा से महिला सशक्तिकरण के विभिन्न आयाम पर संवाद किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बहन और बेटियों को शक्ति पर्व नवरात्रि और रामनवमी की बधाई दी और राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों के प्रभाव और निर्णयों की पृष्ठभूमि से अवगत करवाया। यह चर्चा-सत्र लगभग एक घंटे तक चला, जिसमें बहन और बेटियों ने मुख्यमंत्री श्री चौहान से सवालों के माध्यम से महिला-कल्याण से जुड़ी जिज्ञासाओं का जवाब प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज महिला सरपंच, खिलाड़ी, पुलिस अधिकारी, डॉक्टर, लाड़ली लक्ष्मी बेटी और विद्यार्थी वर्ग से बातचीत कर प्रसन्न हूँ। समाज बेटियों के बिना विकास नहीं कर सकता। बेटियों और बहनों के सशक्तिकरण के लिए मध्यप्रदेश में विभिन्न योजनाएँ लागू की गई हैं। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से समाज को यह संदेश मिलता है कि बेटियाँ कितनी महत्वपूर्ण हैं। जहाँ स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत से अधिक स्थानों पर बहनें आई हैं, वहीं पुलिस में उनकी भर्ती से महिला सशक्तिकरण का कार्य आसान हो रहा है। शिक्षकों के पदों पर भी वे बेहतर ढंग से कर्त्तव्य निभा रही हैं। बहनों के स्व-सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे हैं। खिलौने के निर्माण, यूनिफार्म तैयार करने, विद्युत देयकों की वसूली, नल-जल योजना के संचालन जैसे कार्य बहनें कर रही हैं। धान और गेहूँ की प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी महिलाएँ आगे आ रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बहनों को अक्सर कुछ परिस्थितियों में अवकाश की आवश्यकता होती है। इसके दृष्टिगत हमने महिला कर्मियों के लिए अतिरिक्त 7 दिन के अवकाश का प्रावधान किया है। हमारा कर्त्तव्य है कि ऐसी व्यवस्था हो जिससे बहनों को विवश और लाचार न होना पड़े, वे अबला नहीं सबला बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज, माताओं और बहनों का ऋणी है। वे सृष्टि का निर्माण करती हैं। उनका ऋण ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन से उतार सकते हैं।