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23 दिन में दोनों वन मंडल में 1.08 लाख मानक बोरा पत्ता संग्रहित

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कोरबा

तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य अब समापन की ओर पहुंचने लगा है। कोरबा व कटघोरा वन मंडल में 1.31 लाख मानक बोरा पत्ता संग्रहित किए जाने का लक्ष्य है। 23 दिन के भीतर दोनों वन मंडल में 1.08 लाख मानक बोरा पत्ता संग्रहित कर लिया गया है। बीते वर्ष की तुलना में यह 19 हजार 21 मानक बोरा अधिक है। पिछले चार दिन से सुबह धूप व शाम को वर्षा के बीच पत्ता तोड़ाई का काम चल रहा है। 728 में से 386 फड़ों में काम लगभग पूरा हो चुका है। पत्ते फड़ से गोदामों में संग्रहित होने लगे हैं। हितग्राहियों के खाते में 48.34 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

तेंदूपत्ता की कीमत में इस बार हुई मूल्य वृद्धि के कारण पत्ता तोड़ाई को लेकर संग्राहकों में प्रतिस्पर्धा बनी हुई। संग्रहण के लिए पर्याप्त समय मिलने से करीब आधे फड़ों में पत्तों की पूर्ण तोड़ाई कर ली गई है। पिछले कुछ सालों से संग्रहण के समय मौसम में बदलाव के साथ बारिश व तेज हवा से काम बाधित होता रहा लेकिन इस बार इस इसका असर कम रहा। कोरबा वन मंडल 38 समितियों में 280 फड़ बनाए गए हैं।

यहां 53 हजार 200 मानक बोरा पत्तों के संग्रहण का लक्ष्य है। इसी तरह कटघोरा में 44 फड़ से पत्ता संग्रहण किया जा रहा है। यहां 78 हजार 500 मानक बोरा पत्तों के संग्रहण का लक्ष्य हैं। अभी तक की गई तोड़ाई पर गौर किया जाए तो कोरबा में 65 हजार 243 व कोरबा में 43 हजार 231 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहित कर लिया गया है। खास बात यह है कि हितग्राही जितनी अधिक मात्रा में पत्तों का संग्रहण करते हैं उन्हे बोनस राशि का उतना ही लाभ मिलता है। इस बार ग्राम विमलता के पत्ते सर्वाधिक कीमत में बिका है।

कोई, ठाकुरखेता, लेमरू के पत्तोें की भी बढ़चढ़ बोली लगी। शासन ने पत्तों का दर 5,500 रूपए दर तय किया है। बीते वर्ष की तुलना में प्रति मानक बोरा दर 1500 रूपये की वृद्धि हुई है। दोनों वन मंडलों में 98 हजार संग्राहक परिवार पत्तों का संग्रहण करते हैं। संग्रहित परिवार के खातें में राशि भुगतान भी जारी है। बताना होगा कि तेंदूपत्ता संग्रहण से प्रति संग्राहक परिवार सीजन में 10 से 20 हजार रूपये की कमाई कर लेते हैंँ।

जून माह में खेती किसानी और शिक्षा सत्र की शुरूआत हो जाती है। तेंदूपत्ता संग्रहण के एवज में मिलने वाली राशि से परिवारों को सहयोग मिल जाता है। आनलाइन भुगतान प्रक्रिया शुरू होने से अब संग्राहक परिवारों को राशि के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।

सरा देने से बचने के लिए लाएं बेहतर पत्ते
अंतिम चरण के तोड़ाई के अमानक पत्तों की बिक्री की आशंका को देखते हुए फड़ मुंशियों पत्तों का आकलन शुरू कर दिया है। प्रति वर्ष पत्तों के खराब होने का हवाला देकर पांच गड्डी अतिरिक्त पत्ते सरा के नाम पर ली जाती थी। इस बार इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए गांव-गांव सरा न देने मुनादी कराया जा रहा है। विभाग की ओर से लोगों को बताया जा रहा है कि बेहतर पत्तों को संग्रहित कर फड़ में ले जाएं ताकि सरा देने की जरूरत न पड़े।

फड़ से गोदाम पहुंचने लगे पत्ते
तोड़ाई काम पूरा होने के बाद सूखे पत्तों को गोदामों मे पहुंचाया जाने लगा। तेंदूपत्ता संग्रहण के नोडल अधिकारी एसएस कंवर ने बताया कि मौसमी आपदा से हरे पत्तों को सुरक्षित रखने के लिए फड़ों आसपास वैकल्पिक व्यवस्था जा रही है। अब तक संग्रहित पत्तों में सूख चुके 60 प्रतिशत पत्तों को गोदाम में संग्रहित कर लिया गया है। सूखे पत्तों की सुरक्षा के लिए गोदामों में अग्निशमन यंत्रों व्यापक इंतजाम किया गया है।

चार साल बाद भी नहीं मिली चरण पादुका
तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीते चार साल से चरण पादुका का वितरण नहीं किया गया है। वन विभाग की ओर से प्रत्येक साल के अंतराल में महिला व पुरूष संग्राहकों को पादुका दी जाती थी। वनांचल गांवों में बिना पादुका के ही संग्राहक पत्ता तोड़ने जा रहे हैं। जिले के दोनों वनमंडल में 98 हजार संग्राहक परिवार हैं। पत्तों की कीमत में शासन ने वृद्धि तो की है लेकिन पादुका नहीं मिलने से संग्राहकों में निराशा देखी जा रही।