नीमच
नीमच जिला अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट की छुट्टी के चलते प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. जब उसे दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था तभी प्रसूता ने ऑटो रिक्शा में बच्चे को जन्म दे दिया. हालांकि, मां और शिशु को बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया और दोनों ठीक हैं. जिला कलेक्टर ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं.
दरअसल, कंबल बेचकर गुजारा करने वाले राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार निवासी दिनेश सिलावट ने बताया कि वह कुछ दिनों से नीमच के मालखेड़ा गांव में रह रहे हैं. उनकी पत्नी रजनी को बुधवार दोपहर करीब 2.30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई और वह उसे रिक्शा में जिला अस्पताल ले गए. लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने उनसे अपनी पत्नी को उदयपुर (राजस्थान) ले जाने को कह दिया.
सिलावट ने दावा किया, मेरे बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अस्पताल स्टाफ नहीं माना और महिला कर्मचारियों ने हमें अस्पताल से जाने के लिए कह दिया. जैसे ही हम शाम 4 बजे के आसपास अस्पताल से बाहर आए तो मेरी पत्नी ने ऑटो रिक्शा में बच्चे को जन्म दे दिया. जब मेरी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया तो कुछ नेकदिल महिलाओं ने चादरों की ओट लगा दी.
इसके बाद जब अस्पताल के कर्मचारियों को प्रसव के बारे में पता चला तो उन्होंने महिला और उसके नवजात शिशु को अस्पताल में रहने दिया.
प्रसूति विभाग के प्रमुख डॉ. लाड धाकड़ ने कहा कि एनेस्थेटिस्ट छुट्टी पर हैं, जिसके चलते वहां सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में नियमित ड्यूटी के लिए भी पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं.
महिला डॉक्टर बोलीं, "मेरी ड्यूटी 2 बजे तक थी. उसके बाद महिला को अस्पताल लाया गया था. जब स्टाफ ने मुझे बताया तो मैंने जाकर उसे देखा. उसका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा था. परिवार वालों को बताया गया कि बिगड़ती तबीयत के कारण प्रसूता को बड़े अस्पताल में ले जाने की जरूरत है लेकिन वे वहीं रुक गए. जोखिम से बचने के लिए हम ऐसे गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं करते.''
वहीं, इस मामले में नीमच कलेक्टर दिनेश जैन ने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं और अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी.