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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीषण गर्मी का प्रकोप, 25 से 31 मई तक सभी स्कूल रहेंगे बंद

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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीषण गर्मी का प्रकोप, 25 से 31 मई तक सभी स्कूल रहेंगे बंद

जापान के माउंट फूजी पर्वत पर चढ़ने के लिए नए नियम तय किए गए

विरोध गीत पर प्रतिबंध संबंधी आदेश की अवज्ञा पर निगरानी रखेगा हांगकांग

इस्लामाबाद
 पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस वजह से सभी सरकारी और निजी स्कूल 25 से 31 मई तक बंद रहेंगे। पंजाब सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक अधिसूचना में कहा, “छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सावधानियों के साथ स्कूलों को निर्धारित समय पर परीक्षाएं आयोजित करने की इजाजत दी जाएगी।”

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मौसम विभाग (पीएमडी) ने पिछले हफ्ते कहा था, “ऊपरी वायुमंडल में उच्च दबाव की मौजूदगी के कारण 21 मई से देश के ज्यादातर हिस्सों, खासकर पंजाब और दक्षिणी सिंध प्रांत में लू चलने की उम्मीद है।” इसके अलावा मौसम विभाग ने कहा था कि 23-27 मई को भीषण गर्मी हो सकती है। विभाग ने लोगों को बेवजह तेज धूप में घरों से बाहर नहीं निकलने और पानी अधिक पीने की अपील की थी।

जापान के माउंट फूजी पर्वत पर चढ़ने के लिए नए नियम तय किए गए

तोक्यो
 जापान के माउंट फूजी पर्वत पर चढ़ने की इच्छा रखने वाले लोगों को अब एक स्लाट की बुकिंग करानी होगी और इसके लिए उन्हें शुल्क का भी भुगतान करना होगा। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि माउंट फूजी पर्वत पर लगातार पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे वहां गंदगी फैल रही है और ये सुरक्षा और संरक्षण संबंधी चिंताओं का कारण बन रही है।

यह नए नियम, 3,776 मीटर (लगभग 12,300 फीट) ऊंचे पर्वत के यामानाशी किनारे पर योशिदा मार्ग से जाने वाले पर्वतारोहियों पर लागू होते हैं। माउंट फूजी पर्वत पर एक जुलाई से 10 सितंबर तक पर्वतारोही चढ़ाई कर सकते हैं।

यामानाशी प्रान्त ने सोमवार को जापान के विदेशी प्रेस केंद्र के माध्यम से एक बयान में बताया कि नए नियम के अनुसार केवल 4,000 पर्वतारोहियों को मार्ग में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी और इसके लिए प्रति दिन 2,000 येन (लगभग 18 अमेरिकी डॉलर) का शुल्क लिया जाएगा। 3,000 स्लॉट्स ऑनलाइन बुक किए जाएंगे और शेष 1,000 को चढ़ाई के दिन व्यक्तिगत रूप से बुक किया जा सकता है। पर्वतारोही माउंट फूजी क्लाइंबिंग वेबसाइट के माध्यम से अपने स्लॉट बुक कर सकते हैं।

 

विरोध गीत पर प्रतिबंध संबंधी आदेश की अवज्ञा पर निगरानी रखेगा हांगकांग

हांगकांग
 हांगकांग के नेता ने  कहा कि उनका प्रशासन प्रदर्शन संबंधी एक लोकप्रिय गीत पर प्रतिबंध लगाने के अदालती आदेश की अवज्ञा पर निगरानी रखेगा। इससे कुछ दिन पहले यूट्यूब ने शहर में इस गीत की धुन वाले कई वीडियो पर रोक लगा दी थी।

अदालत ने 2019 में सरकार विरोधी व्यापक प्रदर्शन के दौरान गाए गए लोकप्रिय गीत ‘‘ग्लोरी टू हांगकांग’’ के प्रसारण या वितरण पर रोक लगा दी है। यह गीत चीन से हांगकांग को अलग करने की पैरवी करता है। साथ ही ऐसे किसी भी कार्य पर रोक लगायी गयी है जो राष्ट्रगान का अपमान करने के इरादे से इस गीत को राष्ट्रगान के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।

हांगकांग के मुख्य कार्यकारी जॉन ली ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार ने इस आदेश के गैर-अनुपालन की कोई घटना पायी तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि ऑपरेटर कानून के तहत काम करेंगे, हम स्थिति पर नजर रखते रहेंगे।’’

अदालत के इस आदेश से हांगकांग की अभिव्यक्ति की आजादी और इंटरनेट की आजादी को लेकर चिंता पैदा हो गयी है।

गत सप्ताह, यूट्यूब ने इस गीत के 32 वीडियो तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया था जिन्हें शहर में दर्शकों के लिए ‘‘निषिद्ध प्रसारण’’ माना गया था। कंपनी ने कहा था कि वह अदालत के फैसले से निराश है और अपील के विकल्प पर गौर करेगी।

बहरहाल, एसोसिएटेड प्रेस को मंगलवार सुबह यूट्यूब पर इस गीत के वीडियो मिले। यह गीत ‘स्पोटिफाई’ और ‘एप्पल म्यूजिक’ पर भी उपलब्ध है।

 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस समर्थित प्रस्ताव को खारिज किया

संयुक्त राष्ट्र
 अंतरिक्ष में हथियार भेजने की होड़ पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने वाला रूस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र (संरा) सुरक्षा परिषद ने  खारिज कर दिया। सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पर बहस के दौरान अमेरिका ने कहा कि रूस ने पिछले सप्ताह एक उपग्रह प्रक्षेपित किया था जो अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती का हिस्सा हो सकता है।

सुरक्षा परिषद के सदस्य देश भविष्य में संभावित इस वैश्विक चलन की निंदा कर रहे हैं लेकिन इसके खिलाफ कदम उठाने में विफल साबित हुए हैं।

पिछले महीने रूस के प्रतिद्वंदी देश अमेरिका और जापान ने सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव रखा था जो खारिज हो गया था। अमेरिका और जापान द्वारा रखे प्रस्ताव में अलग-अलग प्रकार के हथियारों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो भारी तबाही का कारण बन सकते हैं। वहीं रूस के प्रस्ताव में सभी प्रकार के हथियारों पर चर्चा की गयी।

अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि 15 सदस्यीय परिषद में सोमवार को जिस प्रस्ताव पर चर्चा हुई उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ रूस की अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती की वास्तविक मंशा से विश्व का ध्यान भटकाना है।

अमेरिकी उपराजदूत रॉबर्ट वुड ने परिषद को बताया, ”आज हमारे सामने रखा गया प्रस्ताव और कुछ नहीं बल्कि रूस की ध्यान भटकाने की पराकाष्ठा है।”

संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने इस तथ्य को खारिज किया कि उनका देश दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर मतदान हमारे पश्चिमी सहयोगियों के लिए सच सामने लाने वाला एक महत्वपूर्ण क्षण है।

चीन और अन्य देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

नेबेंजिया ने कहा, ”अगर वे इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनका मुख्य मकसद खुद को बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती के संबंध में आजाद रखने का है।”

हर राष्ट्र कहता है कि वे हथियारों को अंतरिक्ष से दूर रखना चाहते हैं और परिषद के सदस्य देशों ने भी सोमवार को इसे दोहराया है। लेकिन जब बात मतदान की आती है तो परिषद रूस और अमेरिका के प्रस्तावों पर दो भागों में बंट गया और स्विट्जरलैंड मतदान प्रक्रिया से नदारद रहा।

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत गिर गया क्योंकि उसे जरूरी नौ मत नहीं प्राप्त हुए।