इंदौर
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में इस साल दिसंबर तक जैन अध्ययन केंद्र स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है।
तीन दिन पहले विश्वविद्यालय में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों और कुलपति डाॅ. रेणु जैन के बीच बातचीत हुई, जिसमें अगले शिक्षा सत्र से जैन समुदाय पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा, जो साल भर का डिप्लोमा कोर्स रहेगा। पाठ्यक्रम बनाने के लिए जैन समुदाय से जुड़े और जानकार लोगों की मदद भी विश्वविद्यालय लेगा।
जैन समुदाय को करीब से जानने को लेकर विश्वविद्यालय में अध्ययन केंद्र स्थापित होगा। इसके लिए मार्च में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की तरफ से 25 करोड़ रुपये स्वीकृत करने की घोषणा हो चुकी है। अब केंद्र से संचालित होने वाली गतिविधियों और कार्य योजना के बारे में विश्वविद्यालय को प्रस्ताव बनाने वाला है।
डीपीआर भेजने पर हुई चर्चा
इस संबंध में मंत्रालय से डिप्टी सेक्रेटरी श्याम सुंदर वर्मा सहित दो अन्य अधिकारियों ने कुलपति डाॅ. रेणु जैन से मुलाकात की है। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भेजने को लेकर चर्चा की गई, जिसमें मध्य प्रदेश शासन से भी जैन समुदाय से जुड़े कुछ दस्तावेज व जानकारियां प्राप्त होना है। दो घंटे चली बैठक में देशभर में जैन धर्म की संस्कृति एवं धरोहर के संरक्षण-संवर्धन को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
केंद्र के माध्यम से जैन दर्शन के विकास, पांडुलिपियों के कन्वर्जन व डिजिटलीकरण किए जाने पर सुझाव दिए गए। अधिकारियों के मुताबिक जैन धर्म की संस्कृति एवं धरोहर को बढ़ावा देना है। जैन धर्म प्राचीन धर्मों में से है। शुरूआत में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा। उसके बाद यूजी-पीजी के अलावा जैन समुदाय पर पीएचडी भी करवाई जाएगी। वे बताते है कि जैन समुदाय से जुड़ी किताबों को इकट्ठा कर पुस्तकालय बनाएंगे, जिसमें जैन समाज का इतिहास, मान्यताएं, आस्था, संतों के बारे में जानकारी रहेगी।