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राष्‍ट्रपत‍ि रईसी की मौत से देश में छिड़ सकता है सत्‍ता का संग्राम, खुमैनी के सामने चुनौती

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तेहरान
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन का हेलीकॉप्टर रविवार को देश के उत्तर-पश्चिमी में एक दुर्गम घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत हो गई है। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन जैसे दो वरिष्ठ ईरानी नेताओं के साथ ये हादसा ऐसे समय हुआ हुआ है, जब ईरान कई संघर्षों में उलझा हुआ है। इस घटनाक्रम से हालांकि क्षेत्र में चल रही लड़ाईयों पर खास प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि विदेश नीति और युद्ध जैसे निर्णय सुप्रीम लीडर करते हैं लेकिन घरेलू स्तर पर सत्ता संघर्ष तेज हो सकता है। ये इसलिए भी अहम होगा क्योंकि रईसी को बहुत से लोग अली खुमैनी के बाद देश के अगले सुप्रीम लीडर के तौर पर देख रहे थे।

द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान के पॉलिसी डायरेक्टर जेसन ब्रोडस्की का कहना है कि ईरान के राष्ट्रपति सिर्फ फैसलों को लागहू करते हैं, वह निर्णय लेने नहीं लेते हैं। ऐसे में इस्लामिक रिपब्लिक ईरान की नीतियां और मूल सिद्धांत वही रहेंगे, जो इस समय हैं। रीचमैन यूनिवर्सिटी के ओरी गोल्डबर्ग ने कहा, रईसी सर्वोच्च नेता के लिए काम करते थे और उनका चुनाव भी पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ था।

स्थानीय राजनीति में शुरू होगी पैंतरेबाजी

ईरान में भले ही ज्यादातर फैसले सुप्रीम लीडर लेते हों लेकिन राष्ट्रपति के अचानक निधन से एक खैली जगह पैदा होगी। इस राजनीतिक खालीपन का लाभ उठाने के लिए वरिष्ठ राजनेताओं के बीच पैंतरेबाजी शुरू हो जाएगी। ईरान में ऐसे शक्तिशाली राजनेताओं की कमी नहीं है, जो इसे सत्ता में आगे बढ़ने के लिए अवसर की तरह देखेंगे। ईरान के राष्ट्रपति की अचानक मौत खुमैनी के लिए भी एक इम्तिहान की तरह होगी। ईरान के संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार राष्ट्रपति की मृत्यु की स्थिति में पहला डिप्टी अस्थायी रूप से राष्ट्रपति पद ग्रहण करता है। खुमैनी के वफादार मोहम्मद मोखबर वर्तमान में इस पद पर हैं।

रईसी की मौत इस लिहाज से भी बड़ा घटनाक्रम है क्योंकि उनको खुमैनी की जगह लेने वाले प्रमुख उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था। ऐसे में देश की राजनीति के लिए रईसी की मौत एक वास्तविक झटका है। रईसी के अलावा विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन की मौत भी ईरान के लिए छोटा झटता नही है।वह एक बेहद प्रभावी विदेश मंत्री रहे हैं, जिन्होंने सऊदी अरब के साथ सफल सुलह की देखरेख की और पड़ोसी पाकिस्तान सहित कई कठिन संकटों को हल किया।

घरेलू राजनीति में उलझ सकता है ईरान!

ईरान की विदेश नीति में इस हादसे से कोई खास बदलाव नहीं होगा लेकिन घरेलू स्तर पर राजनीतिक उथल पुथल जरूर बढ़ेगी। इससे इजरायल के खिलाफ बहुमोर्चे की लड़ाई से भी ईरान का ध्यान हट सकता है। यहूदी संस्थान के सीईओ माइकल माकोवस्की ने कहा, 'रईसी की मौत से देश थोड़ा और अधिक आत्म-व्यस्त हो सकता है। ईरान अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव की वजह से आंतरिक राजनीति में ज्यादा घिरेगा।

ईरान के साथ बीते महीनों में कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं, जिनसे वह कहीं ना कहीं कमजोर हुआ है। इस साल जनवरी में ईरान के कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र के पास हुए दो विस्फोटों में कम से कम 84 लोगों की मौत हुई थी। ये ईरान के इतिहास में उस पर हुआ एक बड़ा हमला था। पिछले महीने ही सुन्नी आतंकवादी समूह जैश अल अदल ने 11 ईरानी पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी थी। इजरायल के साथ उसका काफी ज्यादा तनाव है। कुछ समय पहले पाकिस्तान से भी ईरान की तनातनी देखने को मिली थी।