भोपाल
एमपी में रहने वाले लोगों को अब हृदय की गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बड़े महानगरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। एम्स भोपाल में फिर एक बार ऐसा नवाचार हुआ है जिससे कई लोगों को राहत मिलेगी। इस तकनीक के इस्तेमाल से हार्ट के वाल्व को बदलने में बहुत समय नहीं लगेगा। पहले इस कार्य को करने में करीब चार घंटे का समय लगता था, जिसमें चीरा भी लगाना पड़ता था। इसकी वजह से मरीज को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन तकनीक का इस्तेमाल करके अब बिना चीरा लगाए ही आधे घंटे में हार्ट का वाल्व बदल दिया जाएगा। इस तकनीक में डॉक्टर कैथेटर नाम की एक पतली ट्यूब को रक्त वाहिका के माध्यम से हृदय तक पहुंचाते हैं। कैथेटर के जरिए एक नया वाल्व पुराने क्षतिग्रस्त वाल्व के स्थान पर रखा जाता है। इस प्रक्रिया में कोई चीरा नहीं लगाया जाता है, जिससे रोगी जल्दी ठीक हो जाते हैं और उन्हें कम दर्द होता है। ऐसा करने वाला भोपाल एम्स मध्य प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल बन जाएगा।
ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं
कार्डियक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉक्टर योगेश निवारिया के अनुसार इस नई सुविधा के प्रारंभ होते ही एम्स में ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं होगी। टीएवीआई से सर्जरी हो जाएगी। इसके लिए तीन मरीजों का चयन भी कर लिया गया है। जिनकी कार्डियक सर्जरी विभाग में स्क्रीनिंग व अन्य जांच अंतिम चरण में है। डॉ. निवारिया ने बताया कि हृदय में चार चैंबर होते हैं। सभी चैंबर में खून का बहाव होने पर वाल्व खुलते हैं, जिससे यह तय होता है कि खून सही दिशा में और सही मात्रा में पहुंच रहा है या नहीं। वाल्व खराब होने पर यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, जिससे समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
इस बीमारी से ग्रस्त होने के कारण
डॉक्टर योगेश ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि कुछ लोगों में यह बीमारी अनुवांशिकता के कारण होती है। वहीं कुछ लोगों में संक्रमण और ज्यादा उम्र के कारण भी यह बीमारी हो जाती है। साथ ही कुछ बच्चों में यह स्थिति जन्मजात होती है।
टीएवीआई से मिलेगी राहत
एम्स में पदस्थ डॉक्टर योगेश ने बताया कि हार्ट वाल्व की समस्या से ग्रसित मरीजों में पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी में बड़ा चीरा लगाने पर खून ज्यादा निकलता है। इससे इनकी इम्यूनिटी भी कमजोर होती है। टीएवीआई में ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में काफी कम दर्द होता है। ऑपरेशन से अन्य अंगों के खराब होने व इंफेक्शन का खतरा पैदा होता है, जिससे मौत तक हो जाती है। टीएवीआई में ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में कम मुश्किलें होंगी।