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US के दो दुश्मन आए साथ, रूसी राष्ट्रपति की चीन यात्रा ने बढ़ाई टेंशन, पुतिन-शी ने ‘नए युग’ की साझेदारी की ली शपथ

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बीजिंग
 रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन के दौरे पर पहुंचे हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पुतिन गुरुवार को अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर सहमत हुए। अमेरिका के दो सबसे बड़े दुश्मनों चीन और रूस के बीच का समझौता साझेदारी के एक 'नए युग' का वादा है जो वॉशिंगटन की टेंशन बढ़ाने वाला है। समझौते के बाद उन्होंने कई कदमों के लिए अमेरिका को लताड़ लगाते हुए कहा कि इससे उनके देशों को खतरा है। जिनपिंग और पुतिन ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए।

इसमें कई सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका का विरोध, ताइवान और यूक्रेन से लेकर उत्तर कोरिया तक हर चीज पर साझा दृष्टिकोण और नई शांतिपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी और वित्त पर सहयोग की घोषणा की गई। शी ने पुतिन से कहा, 'आज चीन-रूस संबंध कड़ी मेहनत से बनाए गए हैं और दोनों पक्षों को इसे संजोने और पोषित करने की जरूरत है।' पुतिन की यह यात्रा तब हो रही है, जब कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीन पहुंचे थे। यहां उन्होंने रूसी सेना को चीन के समर्थन पर चिंता जताई थी। ब्लिंकन की यात्रा को शी और पुतिन के बीच गहरे होते संबंधों को कमजोर करने की एक असफल कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

पुतिन की यात्रा बड़ा संदेश

रूस में एक बार फिर राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पुतिन अपनी पहली यात्रा पर चीन पहुंचे हैं। चीन को पहली यात्रा के लिए चुनकर पुतिन ने दुनिया को अपनी प्राथमिकताओं और शी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों की ताकत का संदेश भेजा है। संयुक्त बयान को रणनीतिक संबंधों को गहरा करने वाला बताया गया और विशेष रूप से बताया गया कि कैसे दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्रों में सहयोग से क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा में सुधार हुआ है। सैन्य संबंधों को बढ़ाने की योजना बनाई गई।

अमेरिका पर जमकर बरसे रूस और चीन

बयान में अमेरिका की विशेष रूप से आलोचना की गई। इसमें कहा गया, 'अमेरिका अभी भी शीत युद्ध के बारे में सोचता है और ब्लॉक टकराव के तर्क की ओर से निर्देशित होता है, जो छोटे समूहों की सुरक्षा को क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता से ऊपर रखता है। ये क्षेत्र के सभी देशों के लिए सुरक्षा से जुड़े खतरे पैदा करता है। अमेरिका को यह व्यवहार छोड़ देना चाहिए।' जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि यूक्रेन संकट का राजनीतिक समाधान ही 'सही दिशा' है।