Home मध्यप्रदेश फिर रिकॉर्ड बनाएगा इंदौर सबसे बड़ी जीत और सबसे ज्यादा नोटा यहीं...

फिर रिकॉर्ड बनाएगा इंदौर सबसे बड़ी जीत और सबसे ज्यादा नोटा यहीं होंगे दर्ज

6

इंदौर
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। इंदौर के 15 लाख 60 हजार से ज्यादा मतदाताओं का मत ईवीएम में कैद है। कांग्रेस विहीन इस चुनाव में इंदौर लोकसभा सीट पर दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनना लगभग तय है।

पहला तो लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत और दूसरा सबसे ज्यादा नोटा। इन रिकॉर्ड के बनने की भी दो वजह हैं। पहली तो यह कि इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं था। दूसरी प्रत्याशी के अभाव में कांग्रेस द्वारा मतदाताओं से नोटा का बटन दबाने की अपील करना। कांग्रेसी प्रत्याशी के मैदान में नहीं होने के बावजूद इंदौर में 61.75 प्रतिशत मतदान हुआ।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में गुजरात की नवसारी सीट पर भाजपा ने देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उसके प्रत्याशी केसीआर पाटील ने कांग्रेसी प्रत्याशी के मुकाबले 6 लाख 89 हजार मत ज्यादा हासिल किए थे। यह रिकॉर्ड इस बार इंदौर के नाम रहेगा इस बात की प्रबल संभावना है।

ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस विहीन इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के अलावा मैदान में उतरे 13 अन्य प्रत्याशियों की कोई पहचान नहीं है। वे सब मिलकर भी एक लाख के आंकड़े को पार कर लें इसकी संभावना नजर नहीं आती क्योंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी निर्दलीय प्रत्याशी मिलकर भी 25 हजार मत हासिल नहीं कर सके थे।

वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कुल पडे मतों का लगभग 66 प्रतिशत हासिल हुआ था वह भी तब जब कांग्रेस ने पूरी दमदारी से चुनाव लड़ा था। इस बार तो कांग्रेस मैदान में ही नहीं है। ऐसे में कुल पड़े मतों का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भाजपा को मिले इस बात की संभावना ज्यादा है।

इन वजहों से बनेगा नोटा में नंबर वन

प्रत्याशी विहीन कांग्रेस ने इस चुनाव में मतदाताओं से नोटा का बटन दबाने की अपील की थी। इस वजह से कांग्रेस के परंपरागत मतदाता नोटा का इस्तेमाल करें इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल देश में सबसे ज्यादा नोटा इस्तेमाल करने का रिकार्ड बिहार के गोपालगंज के नाम है।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में 51660 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था। इंदौर इस मामले में इस बार नंबर वन बन सकता है। इसकी वजह कांग्रेस की नोटा अपील और नामांकन वापस लेने के अंतिम दिन हुआ राजनीतिक घटनाक्रम है। भाजपा का एक बड़ा धड़ा इस घटनाक्रम को लेकर नाराज है।