रोम
ईसाई धर्म से सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने इटली और यूरोप में जनसंख्या संकट पर चिंता जाहिर करते हुए इटलीवासियों से अधिक से अधिक संख्या में बच्चे पैदा करने की अपील की। एक सम्मेलन में बोलते हुए पोप ने गर्भनिरोधक सामग्रियों की आलोचना की और उन पर जीवन को रोकने का आरोप लगाया। इटली दुनिया में सबसे कम जन्म दर वालों देशों में से एक है। देश में लगातार जन्मदर में गिरावट देखी जा रही है और पिछले साल 3,79,000 शिशुओं के जन्म के साथ निचले स्तर पर पहुंच गई है। पोप फ्रांसिस ने कहा, 'जन्म की संख्या उम्मीद की पहली किरण है। बच्चों और युवाओं के बिना कोई भी देश भविष्य के प्रति अपनी इच्छा खो देता है।'
बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन पर जोर
पोप फ्रांसिस ने बच्चे पैदा करने के लिए कपल को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक राजनीतिक रणनीति और नीति बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कार्य संस्कृति को आसान बनाने और घर खरीदने में होने वाली बाधाओं को समाप्त करने की अपील की, जिससे महिलाओं को मातृत्व और करियर के बीच चुनाव न करना पड़े। आबादी को समस्या बताने वालों को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा, हमारी दुनिया की समस्या बच्चों का पैदा होना नहीं है। यह स्वार्थ,उपभोक्तावाद और व्यक्तिवाद है जो लोगों को अकेला और दुखी बनाता है।
गर्भनिरोधक उद्योगों पर हमला
पोप ने गर्भनिरोधक उद्योगों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, 'एक जनसांख्यिकी विद्वान ने मुझे बताया है कि अभी जिन निवेश से सबसे ज्यादा कमाई होती है, वे हथियार कारखाने और गर्भनिरोधक हैं। एक जीवन को नष्ट करता है और दूसरा जीवन को रोकता है। हमारा क्या भविष्य है? ये बहुत ही बुरा है।' पोप फ्रांसिस हथियार उद्योग के कट्टर विरोधी रहे हैं। इसके साथ ही जन्म को रोकने के कृत्रिम उपायों पर लगे प्रतिबंध को सही ठहराते हैं।
उन्होंने घटती जन्मदर के चलते यूरोप में बूढ़े हो रही आबादी पर चिंता जताई और कहा कि 'यूरोप तेजी से पुराना, थका हुआ और इस्तीफा दे चुके महाद्वीप' में बदल रहा है। पोप ने कहा, घर सामानों से भर गए हैं और बच्चों से खाली हो गए हैं। इस तरह ये दुखद स्थान बन गए हैं। कुत्ते बिल्लियों की कोई कमी नहीं है। बच्चों की कमी है।