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बाहर से नौ बाघ लाकर नया जीन पूल तैयार करेंगे, राजस्थान के वन मंत्री ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी

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जयपुर.

राजस्थान के बाघों को इनर ब्रीडिंग से बचाने के लिए इनका एक फ्रेश जीन पूल तैयार किया जाएगा। इसके लिए राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर नौ बाघों को राज्य के बाघ अभयारण्यों में स्थानांतरित करने की अनुमति देने के लिए कहा है।
राजस्थान में बाघों का अस्तित्व संकट में है और यह खतरा उन्हें बाहरी रूप से नहीं बल्कि आंतरिक तौर पर है।

दरअसल यहां बाघों में इनर ब्रीडिंग हो रही है, जिससे उनमें बांझपन का खतरा बढ़ गया है। शोधकर्ताओं की रिपोर्ट कहती है कि अगर बाहरी राज्यों से बाघ नहीं लाए गए तो आने वाले दो-तीन दशकों में इन बड़ी बिल्लियों की आबादी बीमारी या बांझपन से प्रभावित हो जाएगी। दूसरे राज्यों के आने वाले बाघ न केवल इनकी प्रजनन में मदद करेंगे बल्कि इनब्रीडिंग से भी बचाव हो पाएगा और नया जीन पूल तैयार करने में भी सहायता मिलेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने अन्य राज्यों से लगभग नौ बाघों को राज्य के बाघ अभयारण्यों में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र सरकार से चिट्ठी लिखकर अनुमति मांगी है। नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) के एक अध्ययन से पता चला है कि राजस्थान में भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक जन्मजात बाघ हैं। राजस्थान में पांच बाघ अभयारण्य हैं, इनमें रणथंभौर टाइगर रिजर्व, सरिस्का टाइगर रिजर्व, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व शामिल हैं। दो साल पहले आरवीटीआर और डीकेटीआर को भी टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। वन मंत्री संजय शर्मा ने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में कहा है कि बाघों का रिलोकेशन सिर्फ इनब्रिडिंग से ही नहीं बचाएगा बल्कि इससे यहां नर-मादा अनुपात को भी बनाए रखा जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि एनटीसीए ने अगस्त 2023 में एक नर और दो मादा बाघ को एमएचटीआर में रिलोकेट करने की अनुमति दी थी, जो लंबित है। इसी तरह आरटीआर से एसटीआर में एक नर और दो मादा बाघों को अगस्त 2023 में अनुमति दी गई थी, जहां एक बाघिन का रिलोकेशन होना शेष है। आरटीआर के पास रिलोकेट करने के लिए उपयुक्त बाघिन नहीं है। इसलिए अन्य राज्यों से इन बड़ी बिल्लियों को राजस्थान में रिलोकेट करने की अनुमति देने का दी जाए। टाइगर रिलोकेशन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से तीन बाघों को स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है, जिसकी अनुमति मिलने पर उन्हें एसटीआर, एमएचटीआर और आरवीटीआर में स्थानांतरित किया जाएगा। सहमति के लिए इन राज्यों को भी पत्र लिखा गया है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इनब्रीडिंग से बाघों का जीन पूल बेहद नजदीक आ जाता है। उन्होंने कहा कि STR में एक बड़ी बिल्ली ST-16 की कैंसर से मौत हो गई लेकिन बाघ ST-16 की कैंसर से हुई यह मौत इनके कुनबे में इनब्रिडिंग का संकेत थी, जो बांझपन का कारण भी हो सकती है। जुलाई 2020 में एनसीबीएस के शोधकर्ताओं की एक टीम ने राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों के 61 बाघों के जीन पूल के सैंपल्स का अध्ययन किया था, इसमें कहा गया था कि यदि समय रहते इनका फ्रेश जीन पूल तैयार नहीं किया गया तो अगले 3 दशकों में बाघों की आबादी बांझपन का शिकार हो जाएगी।

राजस्थान में भले ही 5 टाइगर रिजर्व हैं लेकिन इन रिजर्व्स में ज्यादातर बार RTR से ही रिलोकेट गए गए हैं इसलिए इनका जीन पूल भी लगभग समान ही है। साल 2014 में राज्य में मौजूद 59 बाघों से अब तक राज्य में बाघों की वर्तमान आबादी लगभग 121 तक पहुंच गई है, जिनमें से 75% से अधिक RTR के हैं।