नई दिल्ली
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सुपरटेक के चेयरमैन और प्रमोटर आरके अरोड़ा की अंतरिम जमानत की अवधि आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। अरोड़ा इस साल जनवरी से अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, और उन्होंने एक नई याचिका लगाते हुए मेडिकल और हेल्थ ग्राउंड पर अंतरिम जमानत को 90 दिनों के लिए और बढ़ाने की मांग की थी। अरोड़ा को पिछले साल जून में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
एडिशनल सेशन जज देवेन्दर कुमार जांगला ने शुक्रवार को एक आदेश जारी करते हुए अरोरा की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन्हें जेल में ही जरूरी मेडिकल ट्रीटमेंट मुहैया करवाएं और उनका इलाज करने वाले डॉक्टर्स द्वारा लिखी दवाएं भी साथ ले जाने की अनुमति दें। साथ ही अदालत ने याचिका लगाने वाले राम किशोर अरोड़ा को 13 मई शाम 5 बजे तक जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश भी दिया।
कोर्ट ने आगे कहा, 'केस के तथ्यों और परिस्थितियों और माननीय हाई कोर्ट के निर्देश पर बनाए गए मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद मेरी राय है कि चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। खासकर तब जब कथित सर्जरी की तारीख किसी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल द्वारा अबतक तय नहीं की गई है।'
अदालत ने यह भी कहा कि आवेदक पहले से ही इस साल 16 जनवरी से अंतरिम जमानत पर है और जांच पूरी होने के बाद अभियोजन पक्ष द्वारा शिकायत पहले से ही दायर की जा चुकी है, जिस पर संज्ञान भी पहले ही लिया जा चुका है। साथ ही अदालत ने कहा कि आवेदक व अभियुक्त ने अंतरिम जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया है और उसका मेडिकल ट्रीटमेंट लगातार जारी है। कोर्ट को बताया गया कि आवेदक व अभियुक्त राम किशोर अरोड़ा 6 फरवरी से कैलाश अस्पताल और हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती हैं और अपनी रीढ़ की बीमारी के इलाज के लिए कोनिकल सर्जरी से पहले प्री-एनेस्थीसिया चेकअप (PAC) करवा रहे हैं।
इससे पहले अरोड़ा की जमानत अवधि बढ़ाने का विरोध करते हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की तरफ से कोर्ट में यह कहा गया कि मामले की जांच अब भी जारी है और अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से आवेदक व अभियुक्त अरोड़ा को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और घर खरीदादों को धमकाने का मौका देने समान होगी।
अरोड़ा को धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत 27 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था। सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ मनीलॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से जुड़ा है।