जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) में जब से फर्जी एनओसी लेकर ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने वाले रैकेट (Organ Transplant Case) का खुलासा हुआ, तब से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है. इस केस की जांच के दौरान रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं, जिसके साथ गिरफ्तारियां भी की जा रही हैं. ऐसा ही एक एक्शन शनिवार को जयपुर के फोर्टिस हॉस्पिटल में भी हुआ है. पुलिस ने सुबह अस्पताल में कार्रवाई करते हुए नर्सिंग स्टाफ भानु लववंशी (Bhanu Luvvanshi) को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि भानु अंग प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों को घर दिलाने में मदद किया करता था.
इस मामले में दो दिन पहले ही राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (RUHS) के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. राजभवन के प्रवक्ता के अनुसार, राज्यपाल कलराज मिश्र ने डॉ. भंडारी का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया. प्रवक्ता ने बताया कि भंडारी ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र से मुलाकात कर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंपा. मिश्र ने इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया. वहीं कुलपति का कार्यभार डॉ. धनंजय अग्रवाल को सौंपा गया है.
धनंजय अग्रवाल को जिम्मेदारी
प्रवक्ता के अनुसार मिश्र ने राज्य सरकार की सलाह से आदेश जारी कर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में नेफ्रोलोजी विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. धनंजय अग्रवाल को अग्रिम आदेशों अथवा नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक, जो भी पहले हो, कामचलाऊ व्यवस्था के अंतर्गत अतिरिक्त प्रभार के रूप में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यों का निर्वहन करने के लिए निर्देशित किया है.
तीन अधिकारियों पर एक्शन
राजस्थान सरकार ने अंग प्रत्यारोपण के लिए फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रकरण में मंगलवार को सवाई मान सिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राजीव बगरहट्टा एवं एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा तत्काल प्रभाव से पद से विमुक्त कर दिया था. साथ ही डॉ. सुधीर भंडारी को 'स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन' (सोटो) के लिए गठित 'स्टीयरिंग कमेटी' के चेयरमैन पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया था.
जानें क्या है यह पूरा मामला?
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने एक अप्रैल को अंग प्रत्यारोपण के सिलसिले में अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी करने की एवज में रिश्वत लेने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि ये अधिकारी पैसे लेकर फर्जी एनओसी जारी कर रहे थे. इसके बाद जयपुर के कई अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई. वहीं चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने मामले की गहन जांच का आश्वासन दिया है.