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केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई, वह 1 जून तक अंतरिम जमानत पर रहेंगे, इस दौरान कुछ शर्ते भी लगाई

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नई दिल्ली
दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। उन्हें 1 जून तक अंतरिम जमानत दी गई है। हालांकि जमानत देने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्ते भी लगाई हैं। इन शर्तों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा पाएंगे और ना ही सचिवालय जा पाएंगे। इसी के साथ वह अपने केस से जुड़े किसी भी गवाह से कोई संपर्क करने की कोशिश  नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत 5 बड़ी शर्तों पर दी है।

1. अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल से रिहाई के लिए 50 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी और इतनी ही राशि का मुचलका भरना होगा।
2. अरविंद केजरीवाल किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे और ना ही मामले से जुड़ी आधिकारिक फाइलों को देखेंगे।
3.SC ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे।
4. जब तक बहुत जरूरी ना हो, अरविंद केजरीवाल किसी भी फाइल पर साइन नहीं करेंगे, और अगर साइन करने की जरूरत पड़ी तो उसके लिए उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी।
5. सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को निर्देश दिया कि वह शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी भूमिका के बारे में कोई बयानबाजी नहीं करेंगे।

चुनाव प्रचार के लिए मिली जमानत
 अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी। जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और जेल वापस जाना होगा। पीठ ने केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी के इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया कि उन्हें पांच जून तक अंतरिम जमानत दी जाए। एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण के तहत मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी। कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के कारणों का विवरण बाद में दिया जाएगा।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने चुनाव प्रचार के आधार पर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई पूर्व उदाहरण नहीं है। न्यायालय ने कहा कि केजरीवाल को 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। पीठ ने कहा कि ईडी की ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी जबकि मुख्यमंत्री को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया। पीठ ने ईडी से कहा, ‘‘वह डेढ़ साल तक बाहर रहे। उन्हें पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।’’

मेहता और राजू ने न्यायालय से जमानत शर्तें लागू करने का अनुरोध किया जिनमें यह भी शामिल हो कि केजरीवाल आबकारी नीति मामले के संबंध में कुछ नहीं कहेंगे। पीठ ने कहा कि जमानत की शर्तें वैसी ही होंगी जैसी ‘आप’ नेता संजय सिंह के मामले में लागू की गई थीं। सिंह को इसी मामले के सिलसिले में पिछले महीने जमानत दी गई थी।