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अब तक भाजपा पर हमलावर रहे अखिलेश यादव अचानक से बहुजन समाज पार्टी पर आक्रामक हुए, बदली रणनीति

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लखनऊ
अब तक भाजपा पर हमलावर रहे अखिलेश यादव अचानक से बहुजन समाज पार्टी पर आक्रामक हो गए हैं। जो बातें इशारों-इशारों में पहले कही जातीं थीं, अब खुल कर भाजपा बसपा की मिलीभगत की बात की जाने लगी है। इसका मकसद  बसपा के मूल वोट दलितों में आरक्षण पर खतरे को सामने रख कर उनका पूरा समर्थन अपने पाले में लाने का है। सपा अब बसपा में आकाश आनंद को उनके पदों से हटाने व भाजपा के प्रति नर्मी को सभी सीटों पर होने वाले प्रचार अभियान में प्रचारित करेगी।

ज्यादा दलित वोट वाली सीटों पर फोकस
बसपा के समर्थक वोटर जो भाजपा के साथ जाना नहीं चाहते हैं, उन पर सपा की निगाह है। इसमें दलित मतदातों को संदेश दिया जाएगा, बेहतरी चाहिए तो वह कांग्रेस-सपा के साथ आएं। अब चौथे चरण से लेकर सातवें चरण तक सपा अपनी  42 सीटों पर फोकस किया है। बाकी 12 सीटों पर कांग्रेस को सहयोग कर रही है। इनमें सपा के पास जीती सीट केवल आजमगढ़ है और वह भी आम चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के हाथों गवां चुकी है। अब जबकि चुनाव मध्य यूपी व पूर्वांचल की ओर बढ़ रहा है, सपा ने अपने पीडीए पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक में दलित वोटरों पर फोकस बढ़ा दिया है। करीब 30 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोट 25 प्रतिशत से ज्यादा है। टिकट वितरण में सपा ने सावधानी यह बरती कि उसने गैरयादव पर सबसे ज्यादा फोकस किया। सुरक्षित सीटों के अलावा दो सामान्य सीटों मेरठ व फैजाबाद में दलित प्रत्याशी दिया।

संविधान बचाने का मु्द्दा अब बसपा के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश
भाजपा के चार सौ पार नारे के बाद सपा कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने इसे संविधान बदलने के खतरे के रूप में देखा और इसे जनता के बीच मुद्दा बनाया। दलितों में यह संदेश दिया गया कि संभव है कि संविधान बदल कर आरक्षण खत्म करने की नौबत आ सकती है। अब सपा ने इसे मुद्दा बना कर बसपा को भाजपा के संग पाले में खड़ा करने की कोशिश की है। वैसे सपा ने पासी आदि दलित जातियों को साधने के लिए पहले से जतन किए हैं। पर अब बसपा के मूल वोटर जाटव बिरादरी को समझाया जा रहा है कि संविधान बदलने के खतरे को रोकने के लिए इंडिया गठबंधन के साथ आना जरूरी है। इसके लिए पूर्व में घोषित बसपा के सवर्ण प्रत्याशियों को हटा कर ओबीसी व मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का उदाहरण भी दिया जा रहा है। असल में जब जौनपुर में बसपा प्रत्याशी  (पूर्व सांसद धनजंय सिंह की पत्नी) का टिकट वापस हुआ तो अचानक से अखिलेश ने बसपा पर करारा हमला बोला।

अखिलेश ने बसपा को एक भी सीट न मिलने की बात कर दी है। इसके जरिए वह दलित वोटरों को संदेश दे रहे हैं कि बसपा को वोट करना उसे खराब करना है। तीसरे चरण का चुनाव निपटते ही अखिलेश के बसपा के प्रति तेवर तल्ख हो गए हैं। गुरुवार को उन्होंने बहराइच की जनसभा में भाजपा बसपा के बीच मिलीभगत बताते हुए उस पर निशाना साधा। सपा की इस मुहिम को कांग्रेस का भी साथ मिला हुआ है।