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प्रदेश में चुनाव के चौथे चरण में बड़ी भूमिका निभाएंगे मुस्लिम वोटर, आठ सीटों पर 72% आबादी

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भोपाल

लोकसभा चुनाव के लिए तीन चरणों का मतदान हो चुका है। अब 13 मई को चौथे चरण का मतदान होना है। मध्य प्रदेश में अंतिम चरण के मतदान में मुस्लिम समुदाय की अहम भूमिका रहने वाली है। इंदौर और उज्जैन संभाग की जिन 8 लोकसभा में मतदान होना है, प्रदेश की कुल मुस्लिम आबादी का करीब 72 प्रतिशत इन्हीं जिलों में वास करता है। इन क्षेत्रों में कई विधानसभा ऐसी भी हैं, जिन पर जीत या हार का फैसला इसी समुदाय की सहभागिता से होता है।

लोकसभा चुनाव के प्रदेश में आखिरी चरण के लिए 13 मई को आठ सीटों पर मतदान होगा। इनमें देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा समेत आठ सीटों पर वोटिंग होगी। इंदौर, उज्जैन, धार, खंडवा, रतलाम और खरगोन लोकसभा सीट ऐसी हैं, जिनमें कई विधानसभा मुस्लिम बहुल कहलाती हैं। इसके अलावा देवास और मंदसौर लोकसभा सीट पर भी मुस्लिम वोटर अच्छी तादात में हैं।

यह है मुस्लिम मौजूदगी
जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 की स्थिति में मध्यप्रदेश की आबादी 8.77 करोड़ है। इसका 6.57 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो लगभग 60 लाख है। इनमें करीब 50 लाख मतदाता हैं। मप्र में 230 विधानसभा में से करीब 45 विधानसभा ऐसी हैं, जहां 20 हजार से अधिक (करीब 10 प्रतिशत) मुस्लिम मतदाता हैं। प्रदेश में 70 से अधिक ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विधानसभा में 57 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। लेकिन, सीट आरक्षित होने के बाद भी वे जीत हार में निर्णायक भूमिका में होते हैं। जैसे निमाड़ मालवा के आरक्षित क्षेत्र जहां 1000 या 2000 से हार जीत होती है। यहां इस वर्ग ने कांग्रेस की जीत को हमेशा मजबूती प्रदान की है। मुस्लिम बहुल कही जाने वाली इन 33 सीटों पर कुल मुस्लिम वोट लगभग 15 लाख हैं, जो कुल वोटर का 1 से 2 प्रतिशत होते हुए भी सरकार बनाने या बिगाड़ने का काम करते हैं।

सबसे ज्यादा असर यहां
प्रदेश के करीब 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं का करीब 70 से 72 प्रतिशत वोट इंदौर और उज्जैन संभाग में मौजूद है। इनमें इंदौर संभाग की इंदौर एक और इंदौर पांच, महू, राऊ, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर विधानसभा शामिल हैं। इसी तरह उज्जैन संभाग के उज्जैन, मंदसौर, नीमच रतलाम, जावरा, शाजापुर, शुजालपुर, आगर मालवा आदि विधानसभा मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल हैं। इस लिहाज से 13 मई को होने वाले 8 लोकसभा सीटों पर यह समुदाय बड़ी भूमिका निभाएगा।  

कहां क्या प्रभाव?

    प्रदेश की कमर्शियल कैपिटल इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस द्वारा मतदाताओं से नोटा दबाने की अपील की जा रही है या कहें कि जोर दिया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस का थोकबंद वोट बैंक कहे जाने वाले मुस्लिम समुदाय के छिटकने से भी इंदौर लोकसभा का चुनाव प्रभावित हो सकता है।

    धार लोकसभा को यहां पसरा हुआ कमाल मौला बनाम भोजशाला विवाद भाजपा से  मुस्लिम समुदाय को दूर किए हुए है। दूसरी तरफ यहां कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल की मजबूत स्थिति भी भाजपा के लिए नुकसान के हालात बना सकती है।

    खंडवा लोकसभा सीट पर बुरहानपुर, खंडवा जैसी बड़ी मुस्लिम आबादी मौजूद है। यहां भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ खड़े हुए मामले से कांग्रेस को मजबूत बनाया है।

सहकारिता नेता सुभाष यादव और उनके पुत्रों पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और विधायक सचिन यादव की बेहतर पकड़ भी भाजपा इस सीट पर कमजोर कर सकती है।

    उज्जैन लोकसभा पर मुस्लिम बहुलता जरूर है, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के गृह क्षेत्र की इस सीट पर महाकाल लोक की सुंदर तस्वीर में भाजपा को मजबूत किया है। अंतिम पंक्ति से चुनकर उनके क्षेत्र के व्यक्ति को सीएम बना दिए जाने का भाजपा का कर्ज भी उज्जैन लोकसभा के मतदाताओं पर है, जिसे वह भाजपा के पक्ष में मतदान करके चुकाने की कोशिश करेंगे।

    देवास, रतलाम, मंदसौर और खरगोन लोकसभा में अलग अलग सियासी समीकरण काम कर रहे हैं। यहां की मुस्लिम बहुलता भी जीत के आंकड़े को प्रभावित करने वाले हैं।