उत्तर प्रदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दर्ज एक आपराधिक मामले में सोमवार को जमानत दे दी। यह मामला आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन का है। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने उमर से मामले के सिलसिले में निचली अदालत में पेश होने को कहा। शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को उमर को मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इस संबंध में चार मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली थाने में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी प्रत्याशी), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
प्राथमिकी में आरोप था कि तीन मार्च, 2022 को पहाड़पुरा मैदान में एक जनसभा में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और मंसूर अहमद अंसारी ने मऊ प्रशासन से 'हिसाब बराबर करने का' आह्वान किया था। प्राथमिकी के अनुसार, यह आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है।
अब्बास अंसारी फिलहाल कासगंज की जेल में बंद हैं। अब्बास को चित्रकूट जेल में अपनी पत्नी निखहत के साथ चोरी छिपे मिलते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद उन्हें चित्रकूट से कासगंज भेज दिया गया था। इस बीच 28 मार्च को मुख्तार अंसारी की भी बांदा जेल में मौत हो गई। जेल के अंदर ही हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें मेडिकल अस्पताल लाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया था। हालांकि मुख्तार अंसारी के परिवार ने मौत के पीछे जहर को कारण बताया है। सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्तार असारी मौत को लेकर आरोप लगाया कि उन्हें धीमा जहर दिया गया है। यह भी आरोप लगाया था कि डॉन ब्रजेश सिंह को बचाने के लिए मुख्तार अंसारी को हमेशा तक चुप कराया गया है।