देहरादून
उत्तराखंड में विश्वविख्यात चार धाम यात्रा की शुरुआत 10 मई से हो रही है। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण का आंकड़ा 19,25,617 लाख तक पहुंच गया है। वहीं, 8 मई से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी शुरू होने जा रही है। जिन श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, वे 8 मई से हरिद्वार और ऋषिकेश में ऑफलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं। चार धाम यात्रा के लिए जहां सरकार से लेकर तमाम विभाग समन्वय के साथ तैयारी में जुटे हुए हैं। वहीं, श्रद्धालुओं का उत्साह भी देखते ही बन रहा है। 15 अप्रैल से 3 मई तक चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन माध्यम से पंजीकरण कराया गया है। इनमें भी बाबा भोलेनाथ के भक्तों की संख्या ज्यादा है। 10 मई से चार धाम यात्रा के तहत केदारनाथ धाम, गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। वहीं, 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम की यात्रा पूरी तरह से शुरू हो जाएगी।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद अब ऑफलाइन पंजीकरण सुविधा भी प्रारंभ होने जा रही है। इससे यात्रियों की संख्या में और भी इजाफा होने वाला है। चारों धामों के लिए यात्रियों की संख्या भी निर्धारित की गई है। चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए पर्यटन विभाग में अहम निर्णय लिए हैं। यात्रियों के ऑफलाइन पंजीकरण के साथ ही तीर्थ पुरोहित महापंचायत की ओर से तीर्थ पुरोहितों का नामांकन भी कराए गए हैं। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे के अनुसार, समन्वय बनाकर यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियां का जल्द से जल्द निवारण के लिए सुविधा मिलेगी और बेहतर योजना बनाकर काम करने में भी सहायता मिलेगी।
कोविड काल के बाद चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखकर सरकार भी उचित सुविधाएं देने के लिए प्रयास कर रही है। सरकार ने पंजीकरण कराए बिना लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं देने का फैसला लिया है। जिसके चलते बड़ी संख्या में देशभर से लोग यात्रा के लिए पंजीकरण करा रहे हैं। हालांकि कई लोग ऐसे हैं जो यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करवा पाए हैं तो वह हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचकर ऑफलाइन पंजीकरण करा सकते हैं।
हरिद्वार और ऋषिकेश में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
हरिद्वार में राही मोटल तथा और ऋषिकेश में यात्री पंजीकरण कार्यालय व ट्रांजिट कैंप में श्रद्धालु ऑफलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। प्रत्येक धाम के लिए प्रतिदिन ऑफलाइन पंजीकरण की संख्या ऋषिकेश में 1000 और हरिद्वार में 500 निर्धारित की गई है। श्रद्धालु चारों धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण काउंटरों पर अधिकतम तीन दिनों के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं।
हर धाम से दो-दो तीर्थपुरोहितों के नामांकन
चार धाम में श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए पर्यटन विभाग ने उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पुरोहितों के साथ भी बैठक की है। पर्यटन विभाग के साथ समन्वय के लिए महापंचायत ने चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के नामांकन करवाये हैं। प्रत्येक धाम से दो तीर्थ पुरोहितों का नामांकन किया गया है। यमुनोत्री धाम से पंडित पुरुषोत्तम उनियाल तथा पंडित अनिरुद्ध उनियाल, गंगोत्री धाम से पंडित रजनीकांत सेमवाल तथा पंडित निखिलेश सेमवाल, केदारनाथ धाम से पंडित संतोष त्रिवेदी एवं पंडित पंकज शुक्ला और बदरीनाथ धाम से पंडित बृजेश सती एवं पंडित प्रवीण ध्यान का नामांकन किया गया है। ये पुरोहित यात्रा प्रबंधन की वास्तविक स्थिति से पर्यटन विभाग को अवगत कराते रहेंगे। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के लिए अतिरिक्त सुविधाओं सुविधा उपलब्ध कराने को विभाग को अपनी सुझाव भी देंगे।
19 लाख के पार पहुंचा ऑनलाइन पंजीकरण
चार धाम के लिए 3 मई तक 19,25,617 पंजीकरण हुए हैं। इनमें केदारनाथ धाम के लिए 6,68,356, बदरीनाथ धाम 5,67,903, गंगोत्री धाम के लिए 3,47,061 और यमुनोत्री धाम के लिए 3,06,587 पंजीकरण ऑनलाइन माध्यम से हुए हैं। जबकि हेमकुंड साहिब के लिए 3,5,710 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने चारों धामों में प्रतिदिन दर्शन की संख्या सीमित की है। इनमें केदारनाथ में 18,000, बदरीनाथ धाम में 20,000, गंगोत्री में 11,000 और यमुनोत्री धाम में 9,000 तीर्थयात्री प्रतिदिन दर्शन कर सकेंगे।
सरकार ने निर्धारित की संख्या
सरकार ने तीर्थयात्रियों बढ़ती संख्या को देखते हुए बिना किसी बाधा के दर्शन करवाने के लिए यह संख्या निर्धारित की गई है। हालांकि, चार धाम होटल एसोसिएशन ने तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित किए जाने का विरोध भी किया है। एसोसिएशन ने स्पष्ट कहा है कि यात्रियों की सीमित संख्या की व्यवस्था को समाप्त किया जाए। अगर धामों और यात्रा रूटों पर मूलभूत व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखा जाएगा तो यात्रियों की संख्या को सीमित करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं देती है तो कपाट खोलने के समय वे अपने होटल बंद कर देंगे। यात्रियों को होने वाली असुविधा के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।