Home खेल आईएसएल 2023-24: खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगे मोहन बागान, मुम्बई सिटी एफसी

आईएसएल 2023-24: खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगे मोहन बागान, मुम्बई सिटी एफसी

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आईएसएल 2023-24: खिताबी मुकाबले में आमने-सामने होंगे मोहन बागान, मुम्बई सिटी एफसी

आज सुपर जायंट और मुम्बई सिटी एफसी खिताबी मुकाबले में साल्ट लेक स्टेडियम में भिड़ेंगे

गूगल ने डूडल बनाकर भारत की पहली महिला पेशेवर पहलवान हमीदा बानो को याद किया

कोलकाता
 इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) 2023-24 सीजन का रोमांच चरम पर होगा, जब दो सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी मोहन बागान सुपर जायंट और मुम्बई सिटी एफसी खिताबी मुकाबले में आज शाम कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में भिड़ेंगे।

15 अप्रैल को इसी मैदान पर ये दोनों टीमें भिड़ी थीं, जिसे 2-1 से जीतकर मोहन बागान ने मुम्बई सिटी एफसी को पीछे छोड़ते हुए आईएसएल विनर्स खिताब अपने नाम किया था। 2020-21 में, मोहन बागान को आईएसएल फाइनल में मुम्बई सिटी एफसी ने 2-1 से हराया था और तब हबास हारने वाली टीम के साथ थे। हालांकि फुटबॉल में हिसाब चुकता करना आम बात है, लेकिन हबास आगे के बारे में सोचते हैं।

शुक्रवार को मोहन बागान के कोच हबास ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मेरे लिए बदला लेने का कोई सवाल ही नहीं है। फुटबॉल इससे आगे का खेल है। हम एक बहुत अच्छे प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेलेंगे। मैं फाइनल को लेकर बहुत खुश और उत्साहित हूं तथा हमें ट्रॉफी जीतने के लिए अच्छा प्रदर्शन करना होगा। हमने अलग-अलग जगहों पर फाइनल खेला है लेकिन अपने घर में अपने समर्थकों के सामने फाइनल खेलना खास है।”

मोहन बागान सुपर जायंट ने सीजन के दूसरे हाफ में शानदार वापसी की और आईएसएल चैम्पियन बनने की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने 48 अंकों के साथ लीग चरण समाप्त किया, जबकि आइलैंडर्स ने 47 अंक बनाए। उन्होंने अपने 22 लीग मैचों में 47 गोल किए, जबकि मुम्बई सिटी एफसी ने 42 गोल दागे। घरेलू टीम के पास जेसन कमिंग्स, दिमित्रियोस पेट्राटोस, मनवीर सिंह और लिस्टन कोलाको के रूप में आक्रामक खिलाड़ी हैं और वे फाइनल में 60,000 फैंस के सामने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए मैदान पर उतरेंगे। फिर भी, हबास सतर्क हैं।

उन्होंने कहा, “फाइनल के लिए कोई भी फेवरिट नहीं है; न ही मैं फाइनल के लिए दावेदार बनना चाहता हूं। पहले मिनट से लेकर आखिरी मिनट के दौरान एक मूव मैच का रुख बदल सकता है। हमें एकाग्रचित रहना होगा। लेकिन, हमारी टीम के पास स्टैंड पर समर्थक होंगे, जो मैदान पर खेलने वाले खिलाड़ियों पर बहुत बड़ा प्रभाव डालेंगे। हम पिछले सीजन से ज्यादा बेहतर हुए हैं। मुम्बई सिटी एफसी ने भी इस अवधि में काफी तरक्की की है। आपको सफल होने के लिए अच्छे खिलाड़ियों के साथ एक मजबूत संगठन की भी जरूरत होती है। आपको उस दिन मैदान पर खिलाड़ियों से मजबूत प्रतिबद्धता की दरकार होती है।”

अप्रैल में आईएसएल 2023-24 के लीग चरण के निर्णायक मुकाबले में मैरिनर्स के हाथों 1-2 से मुम्बई सिटी एफसी हारी थी। उस जीत के दौरान मैरिनर्स बेहद शानदार थे। उनकी तेज गति और खेलने की जुदा शैली के आगे सुदृढ़ दिखने वाले आइलैंडर्स भी डगमगा गए। मुम्बई सिटी एफसी के हेड कोच पीटर क्रेटकी ने निश्चित रूप से उस हार से कुछ सबक सीखे होंगे, और शनिवार को उन पर अमल करने के लिए उत्सुक होंगे।

चेक कोच ने कहा, “हमने पिछले मैच से सीखा है। हम मुकाबले को थोड़ा अलग तरीके से शुरू करने की कोशिश करेंगे। हम पहले मिनट से ही अपनी फुटबॉल खेलेंगे। हम प्रतिस्पर्धा करके जीतने की कोशिश करेंगे। हमने पिछली हार से सबक सीखा है और हम यहां मुकाबला करने, लड़ने और जीत हासिल करने के लिए आए हैं।”

 

गूगल ने डूडल बनाकर भारत की पहली महिला पेशेवर पहलवान हमीदा बानो को याद किया

नई दिल्ली
गूगल ने शनिवार को भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान हमीदा बानू को डूडल बनाकर याद किया है। बानू, जो एक अग्रणी भारतीय महिला पहलवान थीं, ने 1940 और 50 के दशक में कुश्ती की पुरुष-प्रधान दुनिया में प्रवेश करने के लिए बाधाओं को पार किया। भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान के रूप में जानी जाने वाली बानू की प्रसिद्धि की यात्रा उल्लेखनीय थी, हालांकि इसमें साहसिक चुनौतियाँ भी शामिल थीं।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की रहने वाली हमीदा बानू अलीगढ़ की अमेज़ॉन के रूप में लोकप्रिय हुईं और उन्होंने वह लोकप्रियता हासिल की, जिसकी उनके कई पुरुष समकक्षों को चाहत थी।

मुंबई में 1954 के एक मुक़ाबले में, बानू ने कथित तौर पर एक मिनट से भी कम समय में वेरा चिस्टिलिन को हरा दिया, जिन्हें रूस की मादा भालू कहा जाता था।

उनका वजन 108 किलोग्राम (लगभग) था और उनकी लंबाई 1.6 मीटर थी। उन्हें दूध बहुत पसंद था और वे रोजाना 5-6 लीटर दूध पीती थीं। अपने करियर के दौरान उन्हें फलों का जूस भी पसंद आने लगा। बानू के खाने में बिरयानी, मटन, बादाम और मक्खन भी शामिल था।

प्रसिद्ध भारतीय लेखक महेश्वर दयाल ने 1987 में प्रकाशित एक किताब में हमीदा बानू के बारे में लिखा है और उनकी कुश्ती तकनीक को पुरुष पहलवानों के समान बताया है।