नई दिल्ली
देश में बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के लिए पहला प्रोजेक्ट मुंबई से अहमदाबाद के बीच चल रहा है। लेकिन, आने वाले समय में कुछ अन्य ट्रेनों को देखकर भी यही अहसास होगा कि बुलेट ट्रेन आ रही है। इन ट्रेनों की स्पीड तो बुलेट ट्रेन जैसी नहीं होगी लेकिन इंजन वैसे ही दिखेंगे। हां, थोड़ी बहुत स्पीड तो बढ़ ही जाएगी क्योंकि इंजन का एयरो डायनामिक स्वरूप होने से हवा का दवाब कुछ तो घटेगा ही।
क्या है रेलवे की योजना
रेलवे की योजना है कि जापान की शिनकानसेन ई-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन जैसे ही इंजन कुछ सुपरफास्ट ट्रेनों में लगाया जाए। इसकी शुरुआत अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन से किए जाने की योजना है। इसके तहत किंगफिशर की लंबी चोंच जैसे इंजन इस ट्रेन में लगाए जाएंगे।
कहां चल रही है अमृत भारत ट्रेन
पिछले साल दिसंबर में लॉन्च हुई अमृत भारत ट्रेन फिलहाल पश्चिम बंगाल के मालदा टाउन और कर्नाटक के बेंगलुरु तथा बिहार के दरभंगा और दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल के बीच दौड़ रही है। इस साल कुछ और अमृत भारत ट्रेन चलाने की योजना है जो अलग-अलग रूटों पर चलेंगी। पुश-पुल तकनीक पर चलने वाली इस ट्रेन के दोनों तरफ इंजन लगे होते हैं। रेलवे इन इंजनों को बदलकर किंगफिशर की चोंच के आधार पर बनाए गए बुलेट ट्रेन के इंजन जैसा तैयार करने की योजना बना रहा है। अमृत भारत के लिए बुलेट ट्रेन जैसे इंजन भारत में ही बनाए जाएंगे। इन्हें जापान या अन्य किसी देश से इंपोर्ट नहीं किया जाएगा।
इंजन बदलने से क्या होगा?
भारत की ट्रेनों में बुलेट ट्रेन जैसे इंजन लगाने से इसकी स्पीड बढ़ने के रूप में तो बड़ा फायदा होगा ही, साथ ही इससे बिजली की खपत भी कम होगी। टनल के अंदर से निकलते वक्त साउंड लगभग जीरो हो जाएगी। रेलवे का कहना है अभी एक ट्रेन पर बिजली की जो सप्लाई की जाती है उसमें 88% इंजन और पहियों के लिए खर्च हो जाती है। ट्रेनों के लोको जब बुलेट ट्रेन जैसे बनाए जाएंगे तब इंजन हवा का सामना कम करते हुए तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इस तरह के लंबी चोंच वाले इंजन अमृत भारत में दोनों तरफ होंगे ताकि ट्रेन की स्पीड किसी भी रूप में कम ना होने पाए और ट्रेन को उसके गंतव्य स्थान पर पहुंचने के बाद लोको बदलने की जरूरत भी ना पड़े। एक्सपर्ट का कहना है कि अभी इसका ट्रायल अमृत भारत से किया जा रहा है। आने वाले समय में रेलवे अन्य ट्रेनों के लिए भी इस तरह के इंजन डिजाइन कर उनमें लगाना शुरू कर देगा जिससे बिजली की भी बचत होगी और ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ जाएगी।