लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चौराहों के साथ ही बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों सहित अन्य भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भीख मांगने वाली महिलाओं की संख्या बीते 10 वर्ष में तेजी से बढ़ी है। साल 2013 में भिखारियों की बढ़ती संख्या को लेकर शहर के मुख्य चौराहों पर चाइल्ड लाइन की टीम ने एक सर्वे किया था। इसमें पॉलिटेक्निक चौराहा, रेलवे स्टेशन से लेकर बस अड्डों के बाहर भिखारियों का ब्योरा जुटाया गया। बच्चों को लेकर भी भीख मांगने वाली महिलाओं से बातचीत की गई। इसमें भीख मांगने के सिंडिकेट की कड़ी चिनहट में बब्बन तक पहुंची थी। काफी प्रयास के बावजूद चाइल्ड की टीम बब्बन तक नहीं पहुंच सकी। इसके बाद पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई, जो आज तक समाज कल्याण मुख्यालय में धूल खा रही है।
एक महीने की थी तलाश
बब्बन का नाम सामने आने के बाद करीब एक महीने तक टीम चिनहट में उसकी तलाश करती रही। इस दौरान बब्बन के कुनबा का पता चला। टीम रिपोर्ट तैयार कर डीएम कार्यालय से लेकर शासन स्तर तक भेजी थी। हालांकि रिपोर्ट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि रिपोर्ट में भीख मांगने वालों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बब्बन की धर-पकड़ की सलाह दी गई थी। लेकिन किसी विभाग ने ध्यान नहीं दिया। समाजसेवी संगीता शर्मा ने बताया कि जब भिखारी का सर्वे हुआ था उस वक्त चाइल्डलाइन की मैं डायरेक्टर थी। भिखारी के सर्वे के दौरान यह पूरी कड़ी चिनहट के बब्बन तक पहुंची थी।