बुरहानपुर
शहर के पांच वार्डों तक फैल चुका डायरिया थमने का नाम नहीं ले रहा है। विशेष रूप से छोटे बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। लगातार बढ़ रही बच्चों की संख्या के कारण अस्पताल में बेड कम पड़ गए हैं। एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को लिटा कर इलाज किया जा रहा है। कमोबेश यही स्थिति मेडिकल वार्ड की है। इस बीच रविवार को डायरिया से पीड़ित दो बच्चों की मौत हो गई।
आरएमओ डा. भूपेंद्र गौर का कहना है कि एक बच्चे को जब अस्पताल लाया गया उससे पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। इसी तरह उल्टी-दस्त से पीड़ित कृष्ण पिता राजू ठाकुर निवासी नागझिरी को भी स्वजन बुरहानपुर अस्पताल लेकर पहुंचे थे, जहां डाक्टरों ने बच्चे को दवा देकर घर भेज दिया था। स्वजन का आरोप है कि घर ले जाकर दवा देने के दो 2 घंटे बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। बच्चे की हालत खराब होने का हवाला देते हुए स्वजन ने उन्हें भर्ती करने के लिए भी कहा, लेकिन डाक्टरों ने अस्पताल में जगह नहीं होने की बात कहते हुए दवा ले जाकर घर पर ही इलाज करने को कहा था।
उधर, शहर में खराब पेयजल वितरण, लीकेज से नाली का गंदा पानी मिलने और गंदगी के साथ ही तेजी से फैल रहे डायरिया को लेकर रविवार को कांग्रेसी पार्षदों और नेताओं ने जिला अस्पताल में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने महापौर और नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। नगर निगम कमिश्नर संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि तीन दिन से पानी की सैंपलिंग करवा रहे हैं। कहीं पर भी कोई खराबी नहीं मिली है। पानी में क्लोरीन की मात्रा अधिक होने पर भी डायरिया नहीं होता। कोई अन्य कारण हो सकता है। इंजीनियर्स की चार टीमें भी लगाई हैं जो घर-घर जाकर नलों की जांच कर रही हैं।