नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के लिए तेज हो चुके प्रचार अभियान के बीच दिल्ली में कांग्रेस को जोरदार झटका लगा है। दिल्ली में पार्टी के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की है। उन्होंने ऐसा करते हुए पार्टी हाईकमान पर सवाल उठाने में कोई संकोच नहीं किया है। लवली के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में एक बड़े गुट के बागी होने की अटकलें लग रही हैं। इस बीच 'आप' के धुर विरोधी रहे संदीप दीक्षित ने लवली के इस्तीफे को उनका दर्द बताकर यह संकेत दे दिया है कि कांग्रेस की मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कटु आलोचक और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के धुर विरोधी रहे संदीप दीक्षित ने लवली के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप ने लवली के दर्द का जिक्र करते हुए कहा कि उनका पद कांटों भरा ताज था। लवली से मुलाकात के बाद संदीप ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उनके मन में पीड़ा है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
संदीप दीक्षित ने कहा, 'उनके मन में बहुत पीड़ा है। कुछ चीजों को लेकर आंदोलित हैं। उनको लगता है कि एक दो महीने में जो चीजें हुईं। एक व्यक्तिगत पीड़ा है। एक कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकर्ता के नाते। मुझे लगता है कि जो बातें उन्होंने कहीं हैं उन पर गंभीरता से विचार करना होगा।' संदीप दीक्षित ने लवली के कामकाज की तारीफ करते हुए कहा कि दिल्ली में कांग्रेस संघर्ष की स्थिति में है। जो 8-10 साल में दुष्प्रचार हुआ, साख वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस का जो भी अध्यक्ष बना है, यह कांटों भरा ताज है। इसके बावजूद 6-8 महीनों उन्होंने मेहनत करके खड़ी की। इसके बाद इंडिया गठबंधन की रैली में कांग्रेसियों की अच्छी भीड़ आई। सबको यह लगा था कि कांग्रेस जागृत हो रही है। जब 2-3 सीटें मिलीं तो ऐसा लगता है कि हम कांग्रेस के सब लोगों की सहमति के साथ ऐसे लोगों को दें तो गाड़ी बेहतर तरीके से चलेगी।
इन तीन नेताओं पर नजर
लवली के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में कुछ और नेताओं के बागी होने की अटकलें लग रही हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई ऐसे नेता लवली के सुर में सुर मिला सकते हैं जो 'आप' से गठबंधन के विरोध में थे। लेकिन आलाकमान के फैसले के बाद से चुप्पी साध ली थी। राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब संदीप दीक्षित, अजय माकन और अलका लांबा के रुख पर हैं। तीनों ही नेता सार्वजनिक रूप से कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन का विरोध करते रहे। हालांकि, पार्टी हाईकमान ने उनके विरोध को नजरअंदाज करते हुए केजरीवाल की पार्टी से हाथ मिला लिया।