भोपाल
मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले और भाजपा के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान की राष्ट्रीय राजनीति में शानदार एंट्री होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही इसका हिंट दिया है। एक रैली के दौरान उन्होंने कहा था कि वह शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली यानी कि केंद्र में ले जाना चाहते हैं। पीएम के इस बयान के बाद कयासों का बाजार गर्म है।
आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस शहर को उनका गढ़ माना जाता है। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है। 1980 और 1984 में आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की जीत और बाद में उनकी मृत्यु के कारण पैदा हुई सहानुभूति लहर के दम पर यह सीट जीती थी। 1967 में अस्तित्व में आने के बाद ये केवल दो मौके थे जब कांग्रेस ने यह सीट जीती।
24 अप्रैल को मध्य प्रदेश के हरदा में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पार्टी संगठन में हो या फिर मुख्यमंत्री रहते हुए, हमने साथ-साथ काम किया है। पीएम मोदी ने रैली में कहा, "जब शिवराज संसद गए थे, तब मैं पार्टी महासचिव के रूप में साथ काम कर रहा था। अब मैं उन्हें एक बार फिर अपने साथ दिल्ली ले जाना चाहता हूं।"
आपको बता दें कि पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मध्य प्रदेश में शानदार जीत दर्ज की थी। इसमें शिवराज सिंह चौहान का भी अहम योगदान था। हालांकि, उन्हें इस चुनाव में सीएम उम्मीदवार नहीं घोषित किया गया था। भगवा पार्टी ने चौंकाते हुए मोहन यादव को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना।
शिवराज सिंह चौहान अपना छठा लोकसभा चुनाव विदिशा से लड़ रहे हैं। इस सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी (1991) और सुषमा स्वराज (1991, 2009 और 2014) जैसे भाजपा के दिग्गज नेता कर चुके हैं। रामनाथ गोयनका 1971 में इस सीट से सांसद चुने गए थे।
अपने नाम की घोषणा के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह सीट उन्हें वाजपेयी ने सौंपी थी और यह खुशी की बात है कि उन्हें 20 साल बाद फिर से इसका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। चौहान ने कहा था, ''भाजपा मेरी मां है, जिसने मुझे सब कुछ दिया है।''
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक रशीद किदवई ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि भाजपा को अपने वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव में शिवराज सिंह चौहान को इस सीट से मैदान में उतारने के लिए मजबूर होना पड़ा। किदवई ने कहा, "यह एक खुला रहस्य है कि शिवराज की लोकप्रियता को जांचने की मांग की गई थी, लेकिन आरएसएस और महिला मतदाताओं के दबाव में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री को मैदान में उतारने का फैसला किया।"
उन्होने कहा, "वह भारी अंतर से जीतने के लिए तैयार हैं। यदि वह राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़े अंतर से जीतते हैं तो इसकी खूब चर्चा होगी। इस सीट की तुलना वाराणसी, गांधीनगर, लखनऊ और अन्य सीटों पर हार-जीत के अंतर से की जाएगी।''किदवई ने कहा कि हालांकि यह देखना बाकी है कि शिवराज पीएम मोदी और अमित शाह की व्यवस्था में कैसे फिट बैठते हैं।
आपको बता दें कि विदिशा लोकसभा सीट के आठ विधानसभा सीटों में से सात पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज करीब 3.90 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।