बदायूं
उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट अपने आप में खास महत्व रखती है। यहां सबसे ज़्यादा बार समाजवादी पार्टी चुनाव जीत चुकी है। इधर कहा जाता है कि इस सीट पर अधिकांश बाहरी बड़े नेता आए और चुनाव जीतते रहे हैं। लेकिन इस बार 2024 का चुनाव थोड़ा पेंचीदा नजर आ रहा है। चूंकि भाजपा-सपा की कांटे की टक्कर के बीच यहां बसपा के प्रत्याशी की एंट्री होने से चुनाव त्रिकोणीय हो गया है।
सपा क्या इस बार बचा पाएगी अपना गढ़?
बदायूं लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत-हार को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि यहां लगातार सन 1996 से 2014 तक समाजवादी पार्टी जीत दर्ज कराती रही, यानि की चार बार 1996 से 2004 तक यहां से सलीम इकबाल शेरवानी सपा सांसद चुने गए। जिसके बाद 2009 से 2014 तक पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव बदायूं से दो बार सासंद चुने गए।
6 बार लगातार सबसे ज्यादा जीत दर्ज कराने वाली सपा ने 1996 से 2014 तक डबल हैट्रिक लगाई। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव भाजपा की संघमित्रा मौर्य से हार गए। चूंकि समाजवादी पार्टी सबसे ज़्यादा बार यहां से जीत चुकी है। ऐसे में बदायूं लोकसभा सपा का गढ़ माना जाने लगा था। इस बार 2024 के चुनाव में चर्चा है कि क्या समाजवादी पार्टी अपना खोया हुआ गढ़ बचा पायेगी या नहीं। इसको लेकर तरह-तरह की राजनैतिक चर्चा लोगों के बीच शुरू हो गई हैं।
बता दें कि सपा से यहां सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल के बेटे आदित्य यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा से दुर्विजय सिंह शाक्य मैदान में है। बसपा से मुस्लिम खां सहित अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी जीत की ताल ठोक रहे हैं। लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो यहां चुनाव त्रिकोणीय नजर आ रहा है। चूंकि सपा यहां से मुलायम सिंह के नाम पर सबसे ज्यादा बार चुनाव जीती है।
वहीं भाजपा पहली बार 1991 में रामलहर और दूसरी बार मोदी लहर में चुनाव जीती। ऐसे में सपा-भाजपा दोनों दलों को लेकर चर्चा का बाजार गर्म यह है कि धर्मेंद्र यादव को M.Y. फेक्टर ही नही सभी का वोट मिला था। तब उन्होंने जीत हासिल की थी। इस बार चुनावी समीकरण बदले नजर आ रहे है। मसलन M.Y. फेक्टर का अधिकांश वोट तो सपा के पाले में जा सकता लेकिन बसपा और भाजपा के पाले में भी कुछ वोट बैंक जायेगा।
वहीं भाजपा, सपा और बसपा और अन्य दलों के प्रत्याशी बदायूं लोकसभा के मतदाताओं से अपने-अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं। लेकिन इस बार वोटर का मन टटोलना आसान नही है। चर्चा है कि वोटर भी मन बना चुका है कि कहां अपने मताधिकार का प्रयोग करना है और कहां नहीं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या समाजवादी पार्टी इस बार अपना 2019 में खोया हुआ गढ़ बचा सकेगी या भाजपा फिर साइकिल की रफ्तार को कम कर आगे निकल जायेगी। क्योंकि सपा शिवपाल यादव,धर्मेन्द्र यादव सहित अन्य बड़े नेताओं की साख दांव पर है तो वहीं भाजपा के दुर्विजय को जीत दिलाने के सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी सहित भाजपा के बड़े नेता बदायूं समय समय पर दौरा कर रहे है।