लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले के प्रमुख आरोपित को एनआईए ने किया गिरफ्तार
भारतीय मूल के व्यक्ति की पुलिस कार्रवाई में गोली लगने से मौत
भारत दर्शाता है कि ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना’ समान अवसर मुहैया कराती है: यूएनजीए अध्यक्ष
लंदन
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को ब्रिटेन में 2023 में भारतीय उच्चायोग पर हमले के मुख्य आरोपित इंदरपाल सिंह गाबा को गिरफ्तार कर लिया है। गाबा साल 2023 में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हुए हिंसक हमले और उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान गैरकानूनी कार्रवाइयों से संबंधित मामले में आरोपित था।
एनआईए के अनुसार ब्रिटेन के हाउनस्लो निवासी इंदरपाल सिंह गाबा को 19 और 22 मार्च 2023 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जांच में पता चला है कि 19 मार्च और 22 मार्च 2023 को लंदन में हुई घटनाएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं जिसमें भारतीय दूतावासों और उसके अधिकारियों पर गंभीर हमला करने की योजना थी। मार्च 2023 में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमला खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल सिंह के खिलाफ की गई पंजाब पुलिस की कार्रवाई की प्रतिक्रिया में था।
लंदन में भारतीय उच्चायोग पर बीते साल 19 मार्च 2023 को खालिस्तान समर्थक तत्वों ने हमला बोल दिया था। उस दिन खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन से जुड़ा एक प्रदर्शन उच्चायोग के सामने रखा गया था। प्रदर्शन के दौरान लगभग 50 अलगाववादी उच्चायोग परिसर के अंदर घुस गए थे। खालिस्तान समर्थक उपद्रवियों ने भारतीय ध्वज को नीचे खींच लिया था और उच्चायोग की बिल्डिंग में तोड़फोड़ की थी। हमले में अधिकारियों को भी चोट आई थी।
अप्रैल में भारत के गृह मंत्रालय की ब्रिटेन के गृह विभाग के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद एनआईए ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस से अपने हाथ में ले ली। जांच के लिए एनआईए की टीम ब्रिटेन पहुंची थी, जहां उसने प्रदर्शन और हिंसक हमले से जुड़े वीडियो हासिल किए थे। हमले का मास्टरमाइंड आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के स्वयंभू प्रमुख अवतार सिंह खांडा को हमले का मास्टरमाइंड बताया गया था, जिसकी कुछ हफ्ते बाद बर्मिंघम के एक अस्पताल में मौत हो गई थी।
भारतीय मूल के व्यक्ति की पुलिस कार्रवाई में गोली लगने से मौत
न्यूयॉर्क
अमेरिका के सैन एंटोनियो में गंभीर हमला करने के भारतीय मूल के आरोपी की पुलिस कार्रवाई के दौरान गोली लगने से मौत हो गई।
पुलिस अधिकारी सचिन साहू (42) को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान उसने अपने वाहन से दो अधिकारियों को टक्कर मार दी जिसके बाद पुलिस अधिकारी टायलर टर्नर ने उस पर गोली चला दी।
साहू मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला था।
सूत्रों ने बताया कि वह संभवत: अमेरिकी नागरिक था।
सैन एंटोनियो पुलिस विभाग ने मामले की जानकारी देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गंभीर हमले की सूचना मिलने के बाद 21 अप्रैल को शाम साढ़े छह बजे से ठीक पहले अधिकारियों को सैन एंटियागो के ‘चेविओट हाइट्स’ भेजा गया। वहां पहुंचने पर अधिकारियों को पता चला कि 51 वर्षीय महिला को एक वाहन से जानबूझकर टक्कर मारी गई है।
विभाग के अनुसार, संदिग्ध साहू घटनास्थल से फरार हो गया था। पीड़ित महिला को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत गंभीर बतायी जा रही है। इसके बाद सैन एंटोनियो पुलिस ने साहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
पुलिस ने बताया कि कई घंटों बाद आरोपी के पड़ोसियों ने सूचना दी कि साहू लौट आया है जिसके बाद अधिकारी उसके घर पहुंचे। तभी साहू ने अपने वाहने से दो अधिकारियों को टक्कर मार दी। इसी दौरान एक अधिकारी ने अपने हथियार से साहू की ओर गोली चला दी। साहू को ‘‘मौके पर ही मृत घोषित’’ कर दिया गया।
पुलिस ने बताया कि एक घायल अधिकारी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया और दूसरे अधिकारी का घटनास्थल पर ही उपचार किया गया। अन्य कोई इस दौरान हताहत नहीं हुआ। मामले की जांच जारी है।
पुलिस प्रमुख बिल मैकमैनस ने बताया कि पुलिस ने अभी ‘बॉडीकैम फुटेज’ (शरीर पर पहने कैमरे की फुटेज) नहीं देखी है। इसे देखने के बाद और तथ्यों का पता चलने की उम्मीद है।
समाचार मंच ‘केन्स5.कॉम’ की एक खबर में साहू की पूर्व पत्नी लिआ गोल्डस्टीन के हवाले से बताया गया कि साहू को ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ था।
गोल्डस्टीन ने कहा, ‘‘वह पिछले 10 साल से इस बीमारी से पीड़ित थे। उनमें ‘सिजोफ्रेनिया’ के लक्षण भी थे।’’
‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ एक ऐसा मानसिक रोग है जिससे पीड़ित व्यक्ति कभी खुशी व ऊर्जा से भरपूर महसूस करता है तो कभी अत्यधिक अवसाद में रहता है। ‘सिजोफ्रेनिया’ भी एक मानसिक बीमारी है जिसमें मरीज भ्रम की स्थिति में रहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘वह समझ नहीं पा रहे थे कि उनके साथ क्या परेशानी है। उन्हें आवाजे सुनाई देती थीं और वह भ्रम में रहते थे।’’
गोल्डस्टीन ने साहू को एक ‘‘अच्छा’’ पिता बताया।
भारत दर्शाता है कि ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना’ समान अवसर मुहैया कराती है: यूएनजीए अध्यक्ष
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण है कि ‘‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना’ (डीपीआई) सामाजिक परिवर्तन और प्रगति की बुनियादी वाहक है और यदि इसका समावेशी तरीके से उपयोग किया जाए तो यह समान अवसर मुहैया कराने में मददगार है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष फ्रांसिस ने कहा, ‘‘जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है, उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी चालक के रूप में उभरा है। यदि समावेशी तरीके से इसका उपयोग किया जाए, तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है। भारत का प्रक्षेप पथ इसका उदाहरण है।’’
फ्रांसिस ने बृहस्पतिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ की मदद से आयोजित ‘सिटीजन स्टैक: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी फॉर सिटिजन्स’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र में पहले सम्मेलन को संबोधित किया।
सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं, राजनयिकों, थिंक टैंक और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।
फ्रांसिस ने कहा कि इस साल जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्हें ‘‘यह देखने का सौभाग्य मिला कि भारत में डीपीआई के तेजी से विस्तार ने कैसे पहुंच को व्यापक बनाया है जिससे लाखों ऐसे लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता एवं समृद्धि मिली जो पहले या तो आर्थिक प्रणाली में किनारे पर थे या उससे बाहर थे।’’
उन्होंने कहा कि केवल सात साल में भारत के डीपीआई मॉडल ने अपने नागरिकों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक वित्तीय समावेशन हासिल किया है और दुनिया भर में होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन में उसकी 60 प्रतिशत भागीदारी है।