नई दिल्ली
चुनाव में ईवीएम से वोटिंग के बाद हर वीवीपैट का मिलान करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस बीच एक और याचिका सुप्रीम अदालत में पहुंची है, जिसमें मांग की गई है कि यदि किसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट NOTA के हों तो दोबारा इलेक्शन कराया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'यह बात चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी है। ऐसे में हम देखते हैं कि चुनाव आयोग क्या जवाब देता है।' यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आयोग को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।
यह जनहित याचिका मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक शिव खेड़ा की ओर से दाखिल की गई है। खेड़ा की ओर से पेश अर्जी पर बहस करते हुए वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यह एक अहम मसला है, जिस पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा कैंडिडेट के निर्विरोध जीतने का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां वह मैदान में अकेले ही बचे थे। वकील ने कहा कि हमने देखा कि सूरत में कोई कैंडिडेट ही नहीं बचा। सारे वोट एक ही उम्मीदवार को जाने थे। इस अर्जी में कहा गया कि चुनाव आयोग को NOTA को भी एक चुनावी उम्मीदवार घोषित करना चाहिए।
इसके अलावा यदि चुनाव में सबसे ज्यादा वोट NOTA को मिल जाएं तो फिर चुनाव दोबारा कराए जाने चाहिए। अर्जी में कहा गया कि लोकसभा, विधानसभा और निकायों समेत सभी चुनावों में NOTA को 2013 से लागू किया गया था। तब से अब तक दो बार मांग की जा चुकी है कि NOTA को एक काल्पनिक कैंडिडेट घोषित किया जाए। अर्जी में कहा गया कि महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पुदुचेरी समेत कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में NOTA को लेकर यह नियम लागू किया गया है। इन चारों जगह पर यह नियम है कि यदि किसी चुनाव में NOTA के वोट सबसे ज्यादा रहते हैं तो दोबारा इलेक्शन कराया जाए।
यही नहीं शिव खेड़ा ने अपनी याचिका में मांग की है कि चुनाव आयोग NOTA का अच्छे से प्रचार करे। उस कैंपेन में बताया जाए कि चुनाव में आपके पास NOTA का भी एक विकल्प होगा। यदि आप NOTA को सबसे ज्यादा चुनेंगे तो दोबारा इलेक्शन कराया जाएगा। यही नहीं उन्होंने मांग की कि NOTA से पिछड़ने वाले सभी उम्मीदवारों पर चुनाव लड़ने से 5 साल की रोक लगाई जाए।