नई दिल्ली
भारत में लगभग 28,000 महिलाओं ने फुटबॉल को अपना करियर बनाया है। ये संख्या अभी कम जरूर है, क्योंकि पुरुष फुटबॉल खिलाड़ियों की संख्या 2,20,515 है। लेकिन अच्छी चीजों की शुरुआत छोटे से ही होती है। इसीलिए 27,936 महिलाओं का अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) में रजिस्टर होना बहुत बड़ी बात है। दो सालों में महिला फुटबॉल खिलाड़ियों की संख्या में 138% का इजाफा हुआ है। 2022 में महासंघ के पास सिर्फ 11,724 महिला खिलाड़ी रजिस्टर्ड थीं।
भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों या विदेशी खिलाड़ियों जितना पैसा और नाम नहीं मिलता। लेकिन इसके बाद भी फीफा की रैंकिंग में भारतीय महिला टीम 66वें नंबर पर है, जबकि पुरुष टीम 121वें नंबर पर है। भारतीय महिला टीम की 5 खिलाड़ी मानुषा कल्याण, ज्योति चौहान, एमके कश्मीना, किरण पिस्दा और ई पान्थोई विदेश की मजबूत लीगों में खेलती हैं।
फुटबॉल विशेषज्ञों को लगता है कि पुरुष टीम के मुकाबले महिला टीम के विश्व कप में क्वालीफाई करने की ज्यादा संभावना हैं। उनका कहना है कि एआईएफएफ को महिला फुटबॉल को और ज्यादा सहयोग देना चाहिए। ऐसा हो भी रहा है। फेडरेशन ने भारत की सबसे बड़ी महिला लीग इंडियन विमेन्स लीग में अब होम और अवे मैच का फॉर्मेट शुरू कर दिया है। इसके साथ ही इस सीजन में दूसरी श्रेणी की लीग आईडब्ल्यूएल 2 भी शुरू हुई है, जिसमें से 15 टीमों में से 2 टीमों को प्रमोशन मिलेगा।
ज्यादा टीमें, ज्यादा मैच, ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट का मतलब है ज्यादा महिला फुटबॉल खिलाड़ी। यह अच्छी बात है कि महिला खिलाड़ी खुद रजिस्टर कर रही हैं। हम महिला फुटबॉल के लिए अपनी योजनाओं में सही रास्ते पर हैं।
आईडब्ल्यूएल में दो इंडियन सुपर लीग (ISL) की महिला टीमें भी हैं। साथ ही तीन बार की चैंपियन गोकुलम केरला भी है, जो विदेशों में प्रतियोगिता खेलने वाली भारत की पहली महिला टीम थी। अब यह भी बदलाव हुआ है कि महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को क्लब प्रोफेशनल कॉन्ट्रैक्ट भी देते हैं। बड़ी खिलाड़ी सालाना 6-7 लाख रुपये कमाती हैं। एक क्लब अधिकारी ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर टॉप खिलाड़ियों की सैलरी 10-12 लाख रुपये तक पहुंच जाए। चौबे ने कहा कि अगर हमें महिला विश्व कप के लिए क्वालीफाई करना है तो हमें मैचों की संख्या बढ़ानी होगी और खिलाड़ियों के लिए बेसिक सुविधाएं देनी होंगी।
भारतीय फुटबॉल संघ महिला फुटबॉल टीम को ज्यादा से ज्यादा मैच खिलाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारतीय खेल प्राधिकरण से ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं के लिए सालाना बजट देने की मांग की गई है। एक टूर्नामेंट तो चुनाव की वजह से रुक गया। चौबे के अनुसार, हैदराबाद मई के आखिर में होने वाली फीफा विंडो (28 मई से 4 जून) में चार देशों का टूर्नामेंट आयोजित करने को राजी था, लेकिन आखिरी दिन चुनाव की मतगणना से टकरा रहा था।
अब उम्मीद है कि भारतीय महिला टीम उज्बेकिस्तान में तीन देशों के टूर्नामेंट में खेलेगी। इसमें बेलारूस भी शामिल है। एआईएफएफ जुलाई में भारत में होने वाले टूर्नामेंट में फिजी और हॉन्ग कॉन्ग को शामिल करने के लिए भी उनसे बातचीत कर रहा है। चौबे ने बताया कि हर तिमाही में एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कराने की योजना है। एआईएफएफ ऐसी टीमों के साथ मैच कराने की कोशिश कर रहा है जिनकी फीफा रैंकिंग भारत के बराबर हो।