Home हेल्थ जानें इस अजीब रोग के बारे में जिसमें शरीर स्वयं अल्कोहल बनाता...

जानें इस अजीब रोग के बारे में जिसमें शरीर स्वयं अल्कोहल बनाता है

4

बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में एक अनोखे मामले में एक व्यक्ति को शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप से बरी कर दिया गया है. अदालत में इस आदमी ने ये साबित कर दिया कि उसका शरीर खुद ही शराब बनाता है. इस दुर्लभ मेटाबॉलिक बीमारी को ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) कहते हैं.

आमतौर पर हम जानते हैं कि शराब पीने से ही खून में अल्कोहल (शराब) का लेवल बढ़ता है. मगर ऑटो-ब्रूएरी सिंड्रोम एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जिसमें आंतों में मौजूद कुछ खमीर या बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंटेड कर अल्कोहल का उत्पादन कर देते हैं. ये अल्कोहल ब्लड फ्लो में मिल जाता है और शराब पीने के समान लक्षण पैदा कर सकता है, जैसे कि चक्कर आना, थकान, धुंधला दिखना, उल्टी और कोऑर्डिनेशन का बिगड़ना.

किन्हें हैं इस बीमारी का ज्यादा खतरा?

यह बीमारी आमतौर पर उन लोगों में पाई जाती है जो अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और शुगर रिच डाइट लेते हैं. इसके अलावा, कुछ दवाएं भी इस सिंड्रोम को ट्रिगर कर सकती हैं.

ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के लक्षण

– सांसों में हल्की शराब की गंध
– चक्कर आना
– थकान
– धुंधला दिखना
– उल्टी
– कोऑर्डिनेशन का बिगड़ना
– बेहोशी
– मिजाज में बदलाव

ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज

ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि:
– डाइट में बदलाव करके. मरीज को कार्बोहाइड्रेट और शुगर का सेवन कम करना.
– डाइट में प्रोबायोटिक्स को मिलाना. इससे आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है.
– कुछ दवाएं अल्कोहल के उत्पादन को रोकने में मदद कर सकती हैं. हालांकि, इसके लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना होगा.

कैसे ये मामला आया सामने

यह मामला उस समय सामने आया जब पुलिस ने रूटीन चेकिंग के दौरान इस व्यक्ति को रोका और शराब पीने का संदेह किया. ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में उसका रिजल्ट पॉजिटिव आया. मगर, व्यक्ति ने जोर देकर कहा कि उसने कोई शराब नहीं पी थी. जांच के बाद पता चला कि वह ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम से पीड़ित है. तीन अलग-अलग डॉक्टरों ने उसकी जांच की और उसकी बीमारी की पुष्टि की. अदालत ने इस मेडिकल रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए व्यक्ति को बरी कर दिया. जज ने अपने फैसले में इस बात पर भी जोर दिया कि गिरफ्तारी के समय व्यक्ति नशे में होने के कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे.