मुंबई:
एक कॉरपोरेट फर्म के पूर्व निदेशक के साथ 25 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड हुआ है। इस ऑनलाइन ठगी के मामले में मुंबई साइबर क्राइम पुलिस जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि 31 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। यह धोखाधड़ी 6 फरवरी से 3 अप्रैल के बीच हुई थी। पश्चिमी उपनगरों की एक वरिष्ठ नागरिक शिकायतकर्ता ने कहा कि वॉट्सऐप कॉल करने वालों ने बताया कि उनके फोन नंबर और आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पाए गए हैं। 'पुलिस अधिकारी' ने कॉल को 'सीबीआई अधिकारी' को स्थानांतरित कर दिया, जिसने खुद को विशेष अधिकारी राजेश मिश्रा के रूप में पेश किया। उसने उसे बताया कि उससे पहले बात करने वाला पुलिसकर्मी प्रदीप सावंत, आईएनएस साइबर था। एफआईआर में कहा गया है कि मिश्रा ने उनके वॉट्सऐप नंबर पर अपनी और सावंत की आईडी भेजी।
पीड़ित महिला ने बताया कि राजेश मिश्रा नाम के शख्स ने उनसे कहा कि उनका बैंक खाता और आधार कार्ड चीन में बेच दिया गया है और 6.8 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। जब उन्होंने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया तो मिश्रा ने उनसे कहा कि चूंकि वह एक वरिष्ठ नागरिक है, इसलिए वह उसे पुलिस स्टेशन नहीं बुलाएगा।
कॉलर ने मदद का दिया आश्वासन
कॉलर ने महिला से यह भी कहा, 'मुझे लगता है कि आप निर्दोष हैं और इसलिए मैं आपकी मदद करूंगा।' उसने महिला को बताया कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और वह मामले की जांच कर रहा है। उसने पहचान के लिए उसे कुछ 'आरोपियों' की तस्वीरें भेजीं। उसने कहा कि वह उनमें से किसी को नहीं जानती। मिश्रा ने उसे निर्देश दिया कि वह किसी से भी मामले पर चर्चा न करे और कहा कि वह उसकी अनुमति के बिना महाराष्ट्र से बाहर नहीं जा सकती।
गुप्त बैंक खाते में मंगवाई रकम
इसके बाद मिश्रा ने उसे वॉट्सऐप पर एक पत्र भेजा, जिसमें उसे एक 'गुप्त बैंक खाते' में रुपये ट्रांसफर करने को कहा। उसने यह भी कहा कि अगर वह रुपये भेजने में विफल रहीं, तो उन्हें 1 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा और तीन साल की जेल होगी। वह घबरा गई और उन्होंने 15.9 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए
आरबीआई का डर दिखाकर ट्रांसफर करवाए रुपये
9 फरवरी को राजेश मिश्रा ने उन्हें फिर से कॉल किया और दावा किया कि RBI ने उसके बैंक खाते को फ्रीज करने के निर्देश जारी किए हैं। उसने उन्हें अपने म्यूचुअल फंड को भुनाने और उसके खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा। फिर उसने उसे एक चालू खाता खोलने का निर्देश दिया। जब उसने इनकार कर दिया, तो उसने एक चालू खाता खोला और उससे कहा कि वह उसमें पैसे ट्रांसफर करे, यह दावा करते हुए कि यह RBI को भेजा जाएगा।
शेयर और गोल्ड लोन लेकर महिला ने दी रकम
इसके बाद मिश्रा ने उसे 'वॉइट फंड' बनाने के लिए 5.7 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने को कहा। उसने अपने शेयर बेचे और पैसे भेजे। बाद में, उसके निर्देश पर, उसने गोल्ड लोन लिया और 11.5 लाख रुपये भेजे। उसने उसे 'वॉइट फंड' के रूप में 70 लाख रुपये बनाने और ट्रांसफर करने को भी कहा। इसके लिए उसने अपनी मां के शेयर बेचे।
मामला बंद होने को कहा
3 अप्रैल को मिश्रा ने उसे बताया कि मामला बंद हो गया है और वह अंधेरी पुलिस स्टेशन से RBI की रसीद ले सकती है। जब वह पुलिस स्टेशन पहुंची तो उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। साइबर क्राइम पुलिस ने 10 अप्रैल को एफआईआर दर्ज की। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) लखमी गौतम और डीसीपी दत्ता नलावडे की देखरेख में और वरिष्ठ निरीक्षक दत्ता चव्हाण के नेतृत्व में एक टीम मामले की जांच कर रही है।
शशि मिश्रा