नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर विपक्ष मुखर होकर भाजपा पर निशाना साध रहा है। दूसरी तरफ सत्तारूढ दल के नेता भी विपक्षी नेताओं के बयानों पर पलटवार कर रहे हैं। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख और पारसी समुदायों को नुकसान पहुंचाने पर तुली हुई है। अमित शाह ने चिंदबरम के सीएए को रद्द करने को लेकर दिए गए बयान पर तंज कसते हुए कहा कि कानून बदलने के लिए किसी को सरकार में रहना होगा और कांग्रेस का तो मुख्य विपक्षी दल बनना भी संभव नहीं लग रहा।
चिदंबरम ने सीएए को लेकर क्या कहा था?
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा था कि अगर केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनती है तो सीएए को संसद के पहले सत्र में रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का इरादा सीएए को रद्द करने का है, भले ही पार्टी के घोषणापत्र में इसका उल्लेख नहीं है।
तुष्टिकरण की राजनीति से अंधी हो गई कांग्रेस- शाह
गृहमंत्री ने कहा के तुष्टीकरण की राजनीति से कांग्रेस अंधी हो गई है और पहले चरण में अपनी करारी हार देखकर बौखला गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए अलग अलग समुदाय के लोगों को नुकसान पहुंचाने पर तुली हुई है। भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों के सभी लोगों को सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलेगी। शाह ने कहा कि ये ही पीएम मोदी की गारंटी और इसे कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस को हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों, ईसाइयों, सिखों और पारसियों को नागरिकता मिलने से समस्या है।
कांग्रेस का मुख्य विपक्षी दल बनना भी मुश्किल- शाह
भाजपा नेता ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में मतदाता कांग्रेस को 2019 और 2014 के चुनावों से भी बड़ा सबक सिखाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कांग्रेस का इस बार मुख्य विपक्षी दल बनना भी मुश्किल है। शाह ने कहा कि किसी भी पार्टी को मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए 543 लोकसभा सीटों में से कम से कम 10 प्रतिशत सीटें जीतना जरूरी है और कांग्रेस पिछले दो चुनावों में यह सीमा पार नहीं कर सकी है।
शाह ने दावा किया कि भारत ने खुद को कांग्रेस के चंगुल से मुक्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों को बदल दिया है, जबकि कांग्रेस इसे बदलने की बात करती है।