नई दिल्ली
गुजरात के कच्छ में अब तक के सबसे लंबे नाग के अवशेष पाए गए हैं। यह नाग टी रेक्स से भी लंबा था। इस नाग की प्रजाति का नाम वासुकी इंडिकस है। इसकी खोज आईआईटी-रुड़की के वैज्ञानिकों ने की थी और हाल ही में इसकी पुष्टि एक विशालकाय सांप के रूप में हुई है। यह विभिन्न प्रजातियों, विशेषकर सरीसृपों की उत्पत्ति और विकास प्रक्रिया में भारत की महत्वपूर्ण कड़ी स्थापित करता है। रिसर्चर्स ने सांप से 27 कशेरुकाओं की खोज की है, और उनमें से कुछ बड़े नाग की तरह दिखते हैं और जहरीले नहीं होते। उनका अनुमान है कि वासुकी नाग की लंबाई 11-15 मीटर (लगभग 50 फीट) के बीच होगी और इसका वजन 1 टन रहा होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके आकार के कारण, यह एनाकोंडा के समान धीमी गति से हमला करने वाला शिकारी रहा होगा। निष्कर्ष साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं ने इस नई खोजी गई सांप की प्रजाति का नाम हिंदू देवता शिव के गले के पौराणिक सांप के नाम पर और इसकी खोज के देश, भारत के संदर्भ में 'वासुकी इंडिकस' (वी. इंडिकस) रखा है। उन्होंने बताया कि वी. इंडिकस अब विलुप्त हो चुके मैडत्सोइडे परिवार का हिस्सा है, जो अफ्रीका, यूरोप और भारत सहित व्यापक भूगोल में रहता है।
चौड़ा और बेलनकार रहा होगा नाग का शरीर
लेखकों ने कहा कि यह सांप भारत में उत्पन्न एक विशिष्ट वंश का प्रतिनिधित्व करता है जो लगभग 56 से 34 मिलियन वर्ष पहले इओसीन के दौरान दक्षिणी यूरोप से अफ्रीका तक फैल गया था। कहा जाता है कि आधुनिक स्तनपायी प्रजातियों के पहले पूर्वज और करीबी रिश्तेदार इओसीन काल में प्रकट हुए थे। लेखकों ने जीवाश्मों को लगभग 47 मिलियन वर्ष पहले मध्य इओसीन काल का बताया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कशेरुकाओं की लंबाई 38 से 62 मिलीमीटर और चौड़ाई 62 से 111 मिलीमीटर के बीच होती है, जिससे पता चलता है कि वी. इंडिकस का शरीर संभवतः चौड़ा, बेलनाकार था। उन्होंने वी. इंडिकस की लंबाई 10.9 और 15.2 मीटर के बीच मापी। अनुमानों में अनिश्चितताओं के बावजूद, शोधकर्ताओं ने कहा कि सांप का आकार टाइटेनोबोआ के बराबर था, जिसके जीवाश्म पहली बार 2000 के दशक में वर्तमान कोलंबिया में खोजे गए थे।