पटना.
सरकारी परिसर में बिहार सरकार के अफसरों को अपशब्द कहते हुए दो-दो बार वायरल होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रशंसा के पात्र रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर केके पाठक एक बार फिर बड़ी लड़ाई के लिए उतर गए हैं। पिछली लड़ाई में उन्होंने महागठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का विभाग बदलवा दिया था। फिर ठंड के कारण छुट्टी के विवाद में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर के स्थानांतरण में भी उनकी ही जीत मानी गई थी। अब वह बिहार के कुलाधिपति से सीधे भिड़ गए हैं।
कुलाधिपति, यानी बिहार के राज्यपाल से। उन्होंने राज्यपाल के प्रति सम्मान का जिक्र करते हुए कुलाधिपति को विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रतिकुलपति की तरह अधिकारी बताते हुए लिखा है कि वह शिक्षा विभाग को आदेश नहीं दे सकते हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने राज्यपाल-सह-विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू के नाम शुक्रवार को एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में प्रधान सचिव चोंग्थू की ओर से दिसंबर से फरवरी तक के भेजे कुछ पत्रों का हवाला देते हुए उनसे पूछा गया है कि आप किस हैसियत से शिक्षा विभाग को पत्र लिख रहे- राज्यपाल के प्रधान सचिव या कुलाधिपति के प्रधान सचिव?
राज्यपाल की बात सीएम-मंत्री से करें
इस पत्र में लिखा गया है कि अगर आप राज्यपाल के प्रधान सचिव के रूप में यह पत्र लिख रहे हैं तो राज्य के सर्वोच्च पदधारक की ओर से ऐसे पत्र मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री को भेजा जाना चाहिए, न कि सीधे राज्य सरकार के अधिकारी को। अगर आप कुलाधिपति के आदेश को विभाग के पास भेज रहे हैं तो शिक्षा विभाग को इस पर गंभीर आपत्ति है क्योंकि यह अनधिकृत रूप से शिक्षा विभाग के कामकाज में सीधा दखल है।
कुलाधिपति के अधिकार सीमित
कुलाधिपति के अधिकार को स्पष्ट करते हुए केके पाठक ने लिखा है कि बिहार विधानमंडल की ओर से पारित बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 1976 के सेक्शन 7 के तहत कुलाधिपति (चांस) भी कुलपति, प्रतिकुलपति, डीन, प्रॉक्टर आदि की तरह विश्वविद्यालय के अधिकारी हैं और ऐसे अधिकारी शिक्षा विभाग को आदेश निर्गत नहीं कर सकते हैं। आगे लिखा गया है कि कुलाधिपति शिक्षा विभाग की ओर से कुलपतियों या विश्वविद्यालयों को जारी आदेशों को लेकर अपनी ओर से कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं।
पाठक ने सीधी लड़ाई का एलान किया
पाठक ने अपनी चिट्ठी में चोंग्थू की ओर 29 फरवरी 2024 को भेजे पत्र का जिक्र करते हुए पूछा है कि कुलाधिपति ने किस अधिकार के तहत शिक्षा विभाग की ओर से बुलाई बैठक में कुलपतियों को आने की अनुमति नहीं दी? कुलाधिपति ने किस अधिकार के तहत यह रोक लगाई? यह भी पूछा कि 21 दिसंबर 2023 के पत्र के जरिए कुलाधिपति के कार्यालय ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के संबंध में क्यों दखल दी? राज्यपाल-सह-विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की ओर से कुलाधिपति के अधिकारों के संबंध में सेक्शन 9 (7) (II) का जिक्र किया गया था, लेकिन पाठक ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि यह प्रावधान इस बात की छूट नहीं देता कि कुलाधिपति किसी विश्वविद्यालय के कुलपति या अन्य अधिकारी को शिक्षा विभाग के आदेश की अवहेलना कर अराजकता फैलाएं। इस पत्र की प्रति बिहार कृषि विश्वविद्यालय और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को छोड़ बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी भेजी गई है।