सिख धर्म सिखाता है कि एक परिवार के रूप में मनुष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं: अमेरिकी नेता
सिख धर्म सिखाता है प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा होती है और वह सम्मान और करुणा का पात्र है: टॉम सुओजी
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक कार्रवाई का जापान-अमेरिका मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध
वाशिंगटन
न्यूयॉर्क के एक प्रभावशाली नेता ने वैसाखी से पहले अमेरिकी संसद में कहा कि सिख धर्म सिखाता है कि सभी मनुष्य एक परिवार के रूप में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
टॉम सुओजी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा समुदाय की स्थापना की, जिसका एकमात्र उद्देश्य सभी व्यक्तिय़ों की गरिमा को बनाए रखना और मानवाधिकारों की रक्षा करना है चाहे उनकी राष्ट्रीयता, जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
उन्होंने कहा, ”सिख धर्म सिखाता है कि सभी मनुष्य परिवार के रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए है और इसका निर्माता एक ही है जो सभी के अंदर रहता है। 325वें खालसा पंथ स्थापना दिवस के अवसर पर 13 अप्रैल को वैसाखी का त्योहार मनाया जाएगा।
सुओजी ने सदन में कहा, ”अध्यक्ष महोदय, मैं 13 अप्रैल 2024 को वैसाखी की 325वीं वर्षगांठ मनाने के लिए यहां उपस्थित हुआ हूं और गुरु गोबिंद सिंह जी की विरासत ने स्वतंत्रता, समानता और धार्मिक स्वतंत्रता सहित उन मूल्यों को महत्व दिया, आगे बढ़ाया जिन्हें हम अमेरिकी मानते हैं।’ उन्होंने कहा कि सिख धर्म सिखाता है कि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा होती है और वह सम्मान और करुणा का पात्र है।
कांग्रेस सदस्य सुओजी ने कहा, ‘गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखाया कि अराधना का सर्वोच्च रूप मानवता से प्यार करना और उसकी देखभाल करना है। इसी कारण से, खालसा समुदाय बिना किसी भेदभाव के भगवान की रचना की परवाह करता है।’ उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने बहुलवाद और अंतरात्मा की स्वतंत्रता में अपने विश्वास की शिक्षा दी।
सुओजी ने कहा ‘उनके पिता, गुरु तेग बहादुर जी भी उन्हीं सिद्धांतों का पालन करते थे । यहां तक कि उन्हें फांसी भी दे दी गई थी क्योंकि उन्होंने सरकार द्वारा पवित्र धागे 'जनेऊ' को जबरन हटाने का विरोध किया था। हालांकि एक सिख के रूप में, गुरु तेग बहादुर जी खुद जनेऊ पहनने में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने हिंदुओं के इसे पहनने के अधिकार के लिए आवाज उठाई थी।''
सुओजी के अनुसार, उन्हें इसलिए फांसी दे दी गई क्योंकि उन्होंने अपने समय की असहिष्णु राजशाही द्वारा आदेश दिए जाने के बावजूद, अपने सिद्धांत को त्यागने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते थे और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देते थे। सुओज़ी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने न केवल गुरुद्वारे बनवाए, बल्कि उन्होंने मस्जिद और मंदिर भी बनवाए। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के भी प्रमुख पैरोकार थे।
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक कार्रवाई का जापान-अमेरिका मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध
वाशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की राजकीय यात्रा पर पहुंचे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक कार्रवाई का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही सहयोगियों के बीच सैन्य, आर्थिक और अन्य सहयोग को और बढ़ाने के लिए कई कदमों की घोषणा की।
द न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री के सम्मान में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान ऑस्ट्रेलिया के साथ एक विस्तारित रक्षा चक्रव्यूह बनाएंगे। ब्रिटेन के साथ त्रिस्तरीय सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे। जापान को अमेरिकी नेतृत्व में शामिल होने के तरीके तलाशेंगे। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ गठबंधन किया जाएगा।
बाइडेन ने यह भी घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एक जापानी अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर ले जाएगा। बाइडेन ने प्रधानमंत्री किशिदा के साथ व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ऐसा पहली बार होगा। इस मौके पर किशिदा ने रूस के खिलाफ युद्ध में जापान के यूक्रेन के लिए मजबूत समर्थन की पुष्टि की। किशिदा ने कहा, यूक्रेन आजकल पूर्वी एशिया हो सकता है।