इजराइल-हमास संघर्ष के कारण पैदा हुआ मानवीय संकट अमानवीय है: भारत
नेतन्याहू ने लिया गाजा के रफह में आक्रमण तेज करने का संकल्प
गाजापट्टी से यहां शरण लिए हुए तकरीबन 14 लाख नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाएगी
संयुक्त राष्ट्र
भारत ने रमजान के महीने में गाजा में युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को ''सकारात्मक कदम'' बताया और कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष से पैदा हुआ मानवीय संकट ''बिल्कुल अस्वीकार्य'' है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा, ''हम गाजा में जारी संघर्ष से बेहद चिंतित हैं। मानवीय संकट गहरा गया है और क्षेत्र एवं उसके बाहर अस्थिरता बढ़ रही है।''
उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा 25 मार्च को एक प्रस्ताव पारित किये जाने को ''सकारात्मक कदम'' के रूप में देखता है।
कंबोज ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में नागरिक, विशेषकर महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं। उन्होंने कहा, ''इस संघर्ष के कारण पैदा हुआ मानवीय संकट बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।''
कंबोज ने कहा कि भारत संघर्ष में आम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा करता है और किसी भी संघर्ष की स्थिति में यह अनिवार्य है कि आम नागरिकों की मौत की घटनाएं नहीं हों।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रमजान के दौरान गाजा में तत्काल संघर्षविराम के प्रस्ताव को पिछले महीने पारित किया था। इजराइल और हमास के बीच संघर्ष के लगभग पांच महीने से अधिक बीतने के बाद यह प्रस्ताव पारित किया गया।
पंद्रह राष्ट्रों वाली सुरक्षा परिषद ने 10 गैर-स्थायी निर्वाचित सदस्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को अपनाया। प्रस्ताव के पक्ष में 14 देशों ने मतदान किया, जबकि अमेरिका मतदान में शामिल नहीं हुआ।
हालांकि, इससे कुछ दिन पहले ही 22 मार्च को रूस और चीन ने गाजा में तत्काल युद्धविराम संबंधी एक अमेरिकी प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया था।
इस प्रस्ताव के तहत गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और भुखमरी का सामना कर रहे 20 लाख से अधिक फलस्तीनी लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए गाजा में इजराइल-हमास युद्ध को तत्काल रोके जाने का आह्वान किया गया था।
कंबोज ने रेखांकित किया कि संघर्ष को लेकर भारत के रुख को देश के नेतृत्व ने कई अवसरों पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों या बंधक बनाए जाने को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और ''हमारी स्पष्ट निंदा'' के पात्र थे।
कंबोज ने कहा, ''भारत का आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लंबे समय से स्पष्ट रवैया रहा है और इस रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं।''
कंबोज ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में काम करने में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत किया और कहा कि भारत ने फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान की है और वह ''ऐसा करना जारी रखेगा।''
कंबोज ने कहा, ''हम ऐसे द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें फलस्तीनी लोग इजराइल की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित सीमाओं के भीतर एक आजाद देश में स्वतंत्र रूप से रह सकें।''
नेतन्याहू ने लिया गाजा के रफह में आक्रमण तेज करने का संकल्प
– गाजापट्टी से यहां शरण लिए हुए तकरीबन 14 लाख नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाएगी
यरुशलम
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दक्षिणी गाजा के रफह शहर में हमला तेज करने का संकल्प लिया है। नेतन्याहू ने कहा है कि इजराइल को रफह में जमीनी बलों को भेजना चाहिए क्योंकि यह गाजा में हमास का आखिरी गढ़ है। इससे गाजापट्टी से यहां शरण लिए हुए तकरीबन 14 लाख नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाएगी। हालांकि अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस अभियान का विरोध करते हुए कहा कि वहां लोग शरण लिए हुए हैं। इजराइल कहता रहा है कि उसके पास नागरिकों की रक्षा की योजना है।
नेतन्याहू ने एक वीडियो में कहा कि जीत के लिए रफह का अभियान आवश्यक है। उन्होंने ज्यादा जानकारी दिए बगैर कहा कि यह एक निश्चित तारीख पर होगा। उनका यह बयान तब आया है जब इजराइली वार्ता कार काहिरा में हमास के साथ संघर्ष विराम समझौते के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर चर्चा कर रहे हैं।
वहीं गाजा पट्टी के दूसरे बड़े शहर खान यूनिस से इजराइली सैनिक वापस हो गए हैं और मूल निवासी फलस्तीनियों का वहां पहुंचना शुरू हो गया है लेकिन खंडहर में तब्दील इस शहर में पहले वाली रौनक आने में शायद वर्षों का समय लगेगा। इस बीच इजराइल के रक्षा मंत्री योएव गैलेंट ने कहा है कि रफह में कार्रवाई के लिए जल्द ही वहां पर सेना की नई टुकड़ियां तैनात की जाएंगी।
मिस्त्र की सीमा के करीब स्थित रफह में करीब 14 लाख बेघर फलस्तीनी शरण लिए हुए हैं। बीते छह महीने की बमबारी और गोलाबारी में खान यूनिस की ज्यादातर इमारतें ध्वस्त या बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। स्कूल, अस्पताल, शॉपिंग काम्प्लेक्स और अन्य सार्वजनिक भवनों का भी यही हाल है। सुरंगों की तलाश में इजरायली सेना ने तमाम स्थानों पर खोदाई की है। खोदाई वाले स्थानों में सड़कें और कई भवन शामिल हैं। इस खोदाई और टैंकों के गुजरने से ज्यादातर सड़कें भी बर्बाद हो गई हैं।
इस बीच काहिरा में युद्धविराम के संबंध में चल रही वार्ता में कोई विशेष प्रगति होने के संकेत नहीं हैं। इजराइल जहां सभी बंधकों की रिहाई की शर्त पर डटा हुआ है वहीं हमास स्थायी युद्धविराम की शर्त पर कायम है। छह महीने से जारी युद्ध में सोमवार को पहली बार राहत सामग्री लेकर 300 से ज्यादा ट्रक गाजा पहुंचे। ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से टेलीफोन पर तल्ख वार्ता के बाद संभव हुआ है। दोनों नेताओं की यह वार्ता एक अप्रैल को गाजा में इजराइली हमले में सात राहत कर्मियों के मारे जाने के बाद हुई थी।