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एनआईए के कोलकाता एसपी और भाजपा के वरिष्ठ नेता जितेंद्र तिवारी के बीच कथित मुलाकात पर विवाद गहराता जा रहा

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नई दिल्ली
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के कोलकाता एसपी (पुलिस अधीक्षक) धन राम सिंह (डीआर सिंह) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता जितेंद्र तिवारी के बीच कथित मुलाकात पर विवाद गहराता जा रहा है। इस बीच पता चला है कि डीआर सिंह को एनआईए ने दिल्ली तलब किया है। हालांकि एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह एक "नियमित" दौरा था। उन्हें "(दिल्ली) वापसी का आदेश नहीं दिया गया है।"

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, NIA एसपी डीआर सिंह को लेकर उपजे विवाद के बाद उन्हें दिल्ली बुलाया गया है। हालांकि, एजेंसी ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। अधिकारी ने कोलकाता से दिल्ली के लिए सुबह की फ्लाइट पकड़ी थी और दिल्ली में लैंड किया। मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आधी रात को एनआईए मुख्यालय से मिले एक आदेश के बाद ऐसी कार्रवाई की गई है।

इस बीच केंद्रीय जांच एजेंसी ने जांच की निगरानी के लिए एक DIG रैंक के अधिकारी को कोलकाता भेजा है। डीआइजी कल शाम ही पटना से कोलकाता के लिए रवाना हो गए थे। वह इस कथित मामले के पर्यवेक्षण अधिकारी हैं। दिसंबर में पूर्वी मिदनापुर जिले में एक विस्फोट के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित वरिष्ठ टीएमसी नेताओं ने कहा कि एसपी ने 26 मार्च को जितेंद्र तिवारी से अपने आवास पर मुलाकात की थी। टीएमसी ने उस हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के एंट्री-एग्जिट रजिस्टर का पेज सार्वजनिक कर दिया है, जहां एसपी रहते हैं।

पेज से पता चला कि जितेंद्र तिवारी हाउसिंग सोसाइटी में आए और गए। वह NIA एसपी डीआर सिंह द्वारा लीज पर लिए गए फ्लैट में गए थे। अभिषेक बनर्जी ने पार्टी उम्मीदवार और अभिनेता देव के लिए एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह सीसीटीवी फुटेज भी सार्वजनिक करेंगे। 10 सदस्यीय टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें सभी जांच एजेंसियों के प्रमुखों के ट्रांसफर की मांग की गई। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में डीआर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।  

एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता साकेत गोखले ने सवाल किया कि क्या केंद्र ने एनआईए के नए महानिदेशक की नियुक्ति से पहले निर्वाचन आयोग की मंजूरी ली थी और इस नियुक्ति की जांच कराने की मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय एजेंसियों के साथ भाजपा की ‘सांठगांठ’ गहराती जा रही है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जितेंद्र तिवारी ने 26 मार्च को एनआईए के पुलिस अधीक्षक डी.आर. सिंह से मुलाकात की थी और उसी दिन सदानंद दाते को एजेंसी का नया प्रमुख नियुक्त किया गया। गोखले ने दावा किया कि तिवारी कथित तौर पर एक ‘पैकेट’ के साथ सिंह से मिले थे और इस मुलाकात के दौरान, भाजपा नेता ने निशाना बनाने के लिए उन्हें टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक सूची सौंपी थी।

गोखले ने कहा कि एनआईए के नये महानिदेशक 26 मार्च तक महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे। उन्हें उस पद पर भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने नियुक्त किया था। फडणवीस के पास महाराष्ट्र के गृह विभाग का भी प्रभार है। गोखले ने पोस्ट में कहा, ‘‘सवाल यह है कि जब महाराष्ट्र में भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त और उसके अधीन कार्यरत एक अधिकारी को चुनाव अवधि के दौरान अचानक एनआईए के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया, तो क्या इसके लिए (केंद्र की) मोदी सरकार ने निर्वाचन आयोग की अनुमति ली थी?’’